सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छोकर को ₹1,500 करोड़ के कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 12 जुलाई शाम 5 बजे तक जेल प्राधिकरण के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम मेडिकल जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार करने के खिलाफ छोकर की याचिका पर सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया।
यह मामला अवकाशकालीन पीठ के समक्ष रखा गया, जिसमें न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आर. महादेवन शामिल थे। छोकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और अधिवक्ता आशीष पांडे ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने एक बार की राहत तक ही अंतरिम जमानत सीमित करके गलती की, जबकि उनकी सेहत बिगड़ती जा रही है और गिरफ्तारी के दौरान उन्हें हिरासत में मारपीट का सामना भी करना पड़ा।
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छोकर को 4 मई को दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल से गिरफ्तार किया था। उनकी याचिका में दावा किया गया था कि गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करते हुए बिना उचित प्रक्रिया अपनाए की गई थी, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं, जिनमें एक हाथ का फ्रैक्चर भी शामिल है।

19 जून को हाई कोर्ट ने उन्हें सिर्फ सर्जरी कराने के लिए पसंदीदा अस्पताल में इलाज की अनुमति देते हुए अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन साथ ही यह निर्देश दिया था कि उन्हें 12 जुलाई तक आत्मसमर्पण करना होगा। उनके वकीलों ने इस शर्त को चुनौती दी और मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 45(1) का हवाला दिया, जो बीमार या दुर्बल व्यक्तियों को जमानत का प्रावधान देता है।
वरिष्ठ वकील अग्रवाल ने तर्क दिया, “12 जुलाई तक जमानत सीमित करना संविधान के अनुरूप नहीं है,” और यह भी कहा कि छोकर को अपनी गिरफ्तारी और रिमांड की वैधता को चुनौती देने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। हाई कोर्ट ने उनकी मूल याचिका पर सुनवाई भी आत्मसमर्पण की समयसीमा के बाद निर्धारित की थी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इन दलीलों से सहमति नहीं जताई। जब न्यायालय ने हस्तक्षेप से इनकार किया, तो छोकर के वकीलों ने याचिका वापस ले ली।
बता दें कि छोकर ने इससे पहले मई में भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन तब उन्हें हाई कोर्ट से राहत लेने की सलाह दी गई थी। अब 12 जुलाई की समयसीमा नजदीक आने के चलते पूर्व विधायक को अदालत के निर्देशानुसार आत्मसमर्पण करना होगा।