एनसीबी ने हाईकोर्ट में दाखिल की याचिका, जांच अधिकारियों का सेल लोकेशन डेटा देने के आदेश पर रोक की मांग

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए ट्रायल कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें एजेंसी को अपने जांच अधिकारियों (IOs) का सेल लोकेशन आईडी चार्ट और मोबाइल डेटा संरक्षित करने और प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति रविंदर डूडेजा ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी नवीन फोगाट से जवाब मांगा है, जिसकी अर्जी पर निचली अदालत ने यह आदेश पारित किया था। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय की है।

गौरतलब है कि जुलाई 2023 में देशभर में एलएसडी (लाइसरजिक एसिड डायथाइलामाइड) ड्रग्स की खेप जब्त करने की जांच के तहत नवीन फोगाट को गिरफ्तार किया गया था। फोगाट पर एलएसडी की तस्करी और पार्सल भेजने में संलिप्तता का आरोप है।

Video thumbnail

फोगाट, जिनकी ओर से एडवोकेट आदित्य गिरी ने पैरवी की, ने हाईकोर्ट को बताया कि 2023 में औपचारिक गिरफ्तारी से पहले एनसीबी अधिकारियों चेतन शर्मा और अमित कुमार तिवारी द्वारा हिरासत में अनियमितताएं की गई थीं। इन आरोपों के समर्थन में फोगाट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 94 के तहत अधिकारियों का लोकेशन डेटा मांगा था।

READ ALSO  भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 24 की प्रयोज्यता उस तारीख पर निर्भर करती है जिस दिन अवार्ड दिया गया है, न कि उस तारीख पर जिस पर अधिकारियों द्वारा कब्ज़ा लिया गया था: इलाहाबाद हाईकोर्ट

मई 2025 में आरोप तय होने के बाद, फोगाट ने विशेष एनडीपीएस (NDPS) अदालत में अर्जी दायर कर अपने, अपने रिश्तेदारों और जांच अधिकारियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड और टावर लोकेशन चार्ट संरक्षित करने और प्रस्तुत करने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया और उनके इकबालिया बयान दर्ज करने में गंभीर अनियमितताएं हुईं, और निष्पक्ष बचाव के लिए इन विवरणों का प्रस्तुत किया जाना जरूरी है।

4 जुलाई को ट्रायल कोर्ट ने फोगाट की अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि “गिरफ्तारी और उससे जुड़े घटनाक्रमों में जांच एजेंसी की भूमिका पर प्रथम दृष्टया संदेह” है। अदालत ने निर्देश दिया कि अधिकारियों की व्यक्तिगत/आधिकारिक नंबरों की जानकारी हटाकर डेटा सीलबंद लिफाफे में पेश किया जाए।

READ ALSO  फिरौती की मांग के बिना केवल अपहरण IPC की धारा 364-A के तहत अपराध नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

अब एनसीबी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। अपनी याचिका में एनसीबी ने तर्क दिया कि “जांच अधिकारियों के सेल लोकेशन चार्ट पेश करने से निगरानी पैटर्न, गश्त मार्ग और अंडरकवर अधिकारियों की स्थायी स्थिति उजागर हो जाएगी, जिससे चल रही नारकोटिक्स जांच खतरे में पड़ सकती है।”

एजेंसी ने संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के तहत गोपनीयता का हवाला देते हुए कहा कि यह अधिकार सरकारी अधिकारियों के व्यक्तिगत और परिचालन डेटा पर भी लागू होता है। एनसीबी ने यह भी दावा किया कि इस डेटा से गुप्त मुखबिरों के ठिकाने और बैठक स्थल उजागर हो सकते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

READ ALSO  वरिष्ठ पुलिसकर्मी ने मावुंकल धोखाधड़ी मामले में अपने खिलाफ एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए केरल हाई कोर्ट का रुख किया

अब 9 अक्टूबर को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई में फोगाट की ओर से जवाब दायर किया जाएगा। यह मामला इस सवाल पर अहम भूमिका निभा सकता है कि गंभीर नारकोटिक्स मामलों में आरोपी के निष्पक्ष बचाव के अधिकार और जांच एजेंसियों की परिचालन गोपनीयता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles