केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में 16 जुलाई 2025 को निर्धारित फांसी पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ नामक संगठन ने दायर की है, जिसमें केंद्र सरकार को राजनयिक माध्यमों से निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
सीनियर एडवोकेट रजेंथ बसंत ने जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया। उनके साथ अधिवक्ता के. सुबाष चंद्रन ने भी सहायता की।
सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने पूछा कि आरोपी को सजा क्यों हुई, इस पर बसंत ने बताया, “मैं केरल की भारतीय नागरिक हूं। वहां नर्स की नौकरी के लिए गई थी। एक स्थानीय व्यक्ति ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया… और उसकी हत्या हो गई।”

याचिका में कहा गया है कि शरीयत कानून के अनुसार, यदि पीड़ित के परिवारजन ‘ब्लड मनी’ (रक्त धन) स्वीकार करने को राजी हों, तो दोषी की रिहाई संभव है। इसके लिए राजनयिक बातचीत जरूरी है।
पीठ ने मामले को 14 जुलाई को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई, लेकिन बसंत ने जल्द सुनवाई की अपील की। उन्होंने कहा, “कृपया आज या कल सूचीबद्ध करिए, क्योंकि 16 तारीख को फांसी निर्धारित है। राजनयिक प्रयासों के लिए भी समय चाहिए।”
गौरतलब है कि निमिषा प्रिया को 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अपने पासपोर्ट को वापस लेने के लिए महदी को बेहोश करने वाली दवा का इंजेक्शन लगाया था, जो उसके कब्जे में था। निमिषा का आरोप है कि महदी उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था।
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट में निमिषा की मां ने यमन जाकर रिहाई के प्रयास करने की अनुमति मांगी थी। नवंबर 2023 में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया था कि यमन के सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी है। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मां की प्रतिनिधित्व याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था, हालांकि भारतीय नागरिकों के लिए यमन यात्रा पर प्रतिबंध है।
अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले की त्वरित सुनवाई का निर्णय अहम होगा, क्योंकि फांसी की तारीख नजदीक है और संभावित राजनयिक समाधान के लिए समय सीमित है।