एक अहम फैसले में मेघालय हाईकोर्ट ने नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (NECTAR) के चार वैज्ञानिकों की नियुक्तियों को बहाल करते हुए उनकी 2022 में की गई बर्खास्तगी को “कानूनी रूप से शून्य” घोषित किया है। अदालत ने न केवल उनकी सेवाओं की पूर्ण बहाली का आदेश दिया, बल्कि उन्हें सभी लंबित वेतन, भत्ते और सेवा लाभ भी देने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश आई. पी. मुखर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू. डिएंगदोह की खंडपीठ ने अपने फैसले में वैज्ञानिकों—अंकित श्रीवास्तव, सायमन फुकन, सिमांता दास और राकेश कुमार शर्मा—की बर्खास्तगी की प्रक्रिया की कड़ी आलोचना की। पीठ ने कहा कि यह निर्णय “सचिव की मनमानी और इच्छा पर आधारित” था और इसमें विधिसम्मत प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
ये वैज्ञानिक नवंबर 2021 में एक अधिकृत चयन प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त हुए थे, जिसे NECTAR की कार्यकारिणी समिति और गवर्निंग काउंसिल दोनों की पूर्व स्वीकृति प्राप्त थी। लेकिन अगस्त 2022 में गवर्निंग काउंसिल की 9वीं बैठक में इनकी नियुक्तियां अचानक निरस्त कर दी गईं, कथित रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव की आपत्ति के आधार पर।

हालांकि, अदालत ने इस आधार को खारिज कर दिया और कहा कि “NECTAR के मुहरबंद पत्र पर निदेशक जनरल के हस्ताक्षर वाली नियुक्ति-पत्र की प्रामाणिकता पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।” अदालत ने यह भी ध्यान में लिया कि वैज्ञानिकों ने NECTAR में शामिल होने के लिए अपनी पूर्व नौकरियां छोड़ी थीं, जिससे उन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों स्तरों पर क्षति हुई।
पीठ ने इन बर्खास्तियों को अन्यायपूर्ण और मनमाना करार देते हुए संस्थागत स्वायत्तता को प्रशासनिक हस्तक्षेप से बचाने की आवश्यकता पर बल दिया। अदालत ने टिप्पणी की, “कानून का शासन व्यक्तिगत विवेक पर भारी होना चाहिए।” इस फैसले ने न केवल वैज्ञानिकों की नौकरियों को बहाल किया, बल्कि उनकी गरिमा को भी पुनर्स्थापित किया।