पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की disproportionate assets (अवैध संपत्ति) मामले में गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 29 जुलाई तक स्थगित कर दी।
मजीठिया की ओर से पेश वकीलों ने मंगलवार को अदालत में संशोधित याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 29 जुलाई निर्धारित की।
यह याचिका पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा मजीठिया की 25 जून को की गई गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत उनकी रिमांड को चुनौती देती है।

पूर्व मंत्री मजीठिया पर ₹540 करोड़ की कथित “ड्रग मनी” को ठिकाने लगाने का आरोप है। उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे सत्ताधारी सरकार द्वारा की जा रही “राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न” की कार्रवाई बताया है।
गिरफ्तारी के बाद मजीठिया को मोहाली अदालत ने 26 जून को सात दिन की विजिलेंस रिमांड में भेजा था, जिसे 2 जुलाई को चार दिन और बढ़ा दिया गया। इसके बाद 6 जुलाई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में मजीठिया ने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को “अवैध” करार देते हुए राहत मांगी है। याचिका में कहा गया है कि एफआईआर राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है और यह आपराधिक प्रक्रिया का दुरुपयोग, रिमांड अधिकारों का गलत इस्तेमाल और याचिकाकर्ता के स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के अधिकार का उल्लंघन है।
यह मामला 2021 के एक ड्रग केस की बड़ी जांच से जुड़ा है, जिसे राज्य की एंटी-ड्रग स्पेशल टास्क फोर्स की 2018 की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किया गया था। मजीठिया इस केस में पहले ही पटियाला जेल में पांच महीने से अधिक समय बिता चुके हैं, जहां से उन्हें अगस्त 2022 में हाईकोर्ट ने जमानत दी थी।
राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता फेरी सोफत ने अदालत को बताया कि मजीठिया की टीम को याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी गई है और अब मामला 29 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।