सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गोवा खेल प्राधिकरण के तहत वेटलिफ्टिंग कोच के पद के लिए चल रही चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह आदेश एक महिला उम्मीदवार द्वारा पक्षपात के आरोप लगाए जाने के बाद दिया गया।
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए खेल प्राधिकरण और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि चयन प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी, क्योंकि परीक्षक मंडल में उस महिला का पूर्व कोच भी शामिल था, जिसके खिलाफ उसने पहले यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। इससे चयन प्रक्रिया में व्यक्तिगत पक्षपात की आशंका जताई गई।
पीठ ने आदेश दिया, “विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की अनुमति दी जाती है… नोटिस जारी किया जाए, जो छह सप्ताह में प्रत्युत्तर योग्य हो। इस बीच, दिनांक 23 जून 2025 को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर रोक रहेगी।”

महिला उम्मीदवार की ओर से पेश अधिवक्ता साल्वाडोर सैंटोष रेबेलो ने दलील दी कि पूर्व कोच की भूमिका से उनकी मुवक्किल की निष्पक्षता से चयन की संभावना प्रभावित हुई। उन्होंने बताया कि गोवा सरकार ने भी इस शिकायत को गंभीरता से लिया था और स्वतंत्र परीक्षकों के माध्यम से शारीरिक और कौशल परीक्षण दोबारा कराने का निर्णय लिया था। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले को बिना याचिकाकर्ता की सुनवाई किए ही निरस्त कर दिया और मूल चयन प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दे दी।
चयन प्रक्रिया फरवरी 2024 में जारी एक विज्ञापन के साथ शुरू हुई थी, जिसमें तीन चरण शामिल थे: शारीरिक दक्षता परीक्षा, कौशल आधारित व्यावहारिक परीक्षा और एक लिखित परीक्षा। याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता और एक अन्य महिला उम्मीदवार ने शारीरिक परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन कौशल परीक्षण में याचिकाकर्ता को केवल 17.5% अंक दिए गए — जो न्यूनतम अर्हता से कम है — जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी को 23.5% अंक मिले और वह अगले चरण में पहुंच गई।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सभी परीक्षाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी, जो चयन प्रक्रिया में अनियमितता और पक्षपात का प्रमाण हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप से अब चयन प्रक्रिया फिलहाल के लिए रोक दी गई है। मामला छह सप्ताह बाद दोबारा सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।