दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें एक राजनीतिक दल ने राष्ट्रीय राजधानी में स्थित विट्ठलभाई पटेल हाउस में अपनी पार्टी ऑफिस के लिए किराया मांग नोटिस और आवंटन रद्द किए जाने को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने केंद्र को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।
याचिकाकर्ता पार्टी ने संपदा निदेशालय द्वारा उसके कार्यालय के लिए आवंटित डबल सुइट को 14 सितंबर 2024 से रद्द किए जाने के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि यह आदेश एकतरफा (ex parte) तरीके से बिना कोई शो कॉज नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए पारित किया गया और इसका उल्लेख केवल 17 जनवरी 2025 की चिट्ठी के माध्यम से महीनों बाद किया गया।

याचिका के अनुसार, पार्टी ने 30 अप्रैल को परिसर खाली कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद 20 जून को एक रिमाइंडर नोटिस भेजा गया, जिसमें ₹8 लाख से अधिक किराया मांगा गया। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह मांग मनमानी तरीके से निष्कासन की पुष्टि करती है।
पार्टी के वकील ने 20 जून के रिमाइंडर नोटिस पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन केंद्र के वकील ने कहा कि इसमें कोई तात्कालिकता नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ एक नोटिस है जो सार्वजनिक परिसर अधिनियम (Public Premises Act) के तहत जारी किया गया है और अगली सुनवाई तक “कुछ नहीं” होगा।
याचिका में पूर्व में भेजे गए किराया मांग पत्रों (दिनांक 6 मार्च और 13 मई) का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें कथित रद्दीकरण तिथि के बाद परिसर के उपयोग को लेकर वित्तीय देनदारी दोहराई गई थी।
याचिका में कहा गया, “संपदा निदेशालय ने एकतरफा आदेश पारित कर उक्त परिसर का आवंटन रद्द कर दिया… और 30 दिनों के भीतर खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया। यह आदेश अब तक विधिवत याचिकाकर्ता को नहीं दिया गया है।” याचिका में इन कार्रवाइयों को मनमाना और कानूनन अवैध बताया गया है।
अब हाईकोर्ट यह जांच करेगा कि किराया मांग और आवंटन रद्द करने का आदेश किस प्रकार और किन कानूनी प्रक्रियाओं के तहत पारित और संप्रेषित किया गया।