इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग को लेकर दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि मौर्य ने चुनावी हलफनामों और पेट्रोल पंप की डीलरशिप पाने के लिए फर्जी शैक्षणिक डिग्रियों का उपयोग किया।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह याचिका खारिज की। यह याचिका प्रयागराज के भाजपा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने दायर की थी। त्रिपाठी ने 2021 में प्रयागराज की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) की अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत एक आवेदन दायर कर पुलिस जांच की मांग की थी।
हालांकि, ACJM नम्रता सिंह ने कहा था कि मौर्य के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता, और इस आधार पर त्रिपाठी का आवेदन खारिज कर दिया गया था। इसके बाद त्रिपाठी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

फरवरी 2024 में हाईकोर्ट ने यह कहते हुए त्रिपाठी की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी कि यह ट्रायल कोर्ट के आदेश के 300 दिनों से अधिक समय बाद दाखिल की गई थी। इसके बाद त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने देरी को माफ करते हुए हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस मामले की मेरिट पर सुनवाई करे। इसके अनुपालन में त्रिपाठी ने अप्रैल 2025 में फिर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें वही आरोप दोहराए गए थे। इस पर मई में सुनवाई पूरी हुई थी।
अब सोमवार को हुई खारिजी के साथ, हाईकोर्ट ने निचली अदालत के निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिससे त्रिपाठी द्वारा लगाए गए आरोपों की न्यायिक जांच समाप्त हो गई है।