पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह सरकारी पशु शेल्टरों, विशेषकर रायपुर कलां में स्थित अस्थायी केंद्र में रखे गए पशुओं के लिए जीवन की स्थिति में तुरंत सुधार करें। ये पशु सेक्टर 38 वेस्ट स्थित सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (SPCA) में मरम्मत कार्य के चलते अस्थायी रूप से स्थानांतरित किए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने यह निर्देश सहजजीवी ट्रस्ट की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से 29 जुलाई तक विस्तृत जवाब मांगा है।
ट्रस्ट ने अपनी याचिका में रायपुर कलां में रखे गए जानवरों की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है। याचिका के अनुसार, जानवरों को संकीर्ण और बदहाल हालत में रखा गया है, जहां स्वच्छता, अलग शौच क्षेत्र, साफ पानी और उचित वेंटिलेशन जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, ऑपरेशन थिएटर, डायग्नोस्टिक मशीनें और सीसीटीवी निगरानी जैसी आवश्यक पशु चिकित्सा सुविधाएं भी नहीं हैं।

ट्रस्ट का यह भी कहना है कि अस्थायी स्थानांतरण के कारण स्वयंसेवकों की भागीदारी में भारी गिरावट आई है, क्योंकि नया स्थान दूर होने के कारण नियमित रूप से मदद करने वाले लोगों की पहुंच सीमित हो गई है। पिछले दो महीनों में कई बार लिखित शिकायतें देने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
याचिका में पशु आहार और चिकित्सा देखभाल के लिए बजट बढ़ाने की मांग की गई है और पशु कल्याण हेतु आवंटित धन के कथित दुरुपयोग की जांच की मांग की गई है। ट्रस्ट ने 2020 में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की निरीक्षण रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें SPCA केंद्र में कई अनियमितताओं की बात कही गई थी, जो पांच साल बाद भी दूर नहीं हुई हैं।
हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सहजजीवी ट्रस्ट ने आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी साझा की, जिसके अनुसार SPCA के वार्षिक बजट का 96% हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है, जबकि पशुओं की चिकित्सा देखभाल पर 1% से भी कम और भोजन पर मात्र 3% खर्च किया जाता है—जबकि यही केंद्र की मुख्य जिम्मेदारियां हैं।
मीडिया रिपोर्ट और जन आक्रोश के बाद पिछले महीने यूटी प्रशासक ने स्थल का दौरा किया था, लेकिन ट्रस्ट का कहना है कि अब तक कोई ठोस सुधार नहीं हुआ है।
अब हाईकोर्ट ने shelter में रहने वाले पशुओं की मानवीय देखभाल, पर्याप्त भोजन और चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि इसमें और देरी न की जाए और शीघ्र प्रभावी कदम उठाए जाएं।