पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने M3M निदेशक के खिलाफ भ्रष्टाचार FIR रद्द करने की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने रियल एस्टेट कंपनी M3M के निदेशक रूप बंसल द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले को रद्द करने की मांग की गई थी।

यह FIR 17 अप्रैल 2023 को दर्ज की गई थी, जिसमें बंसल के साथ निलंबित विशेष सीबीआई न्यायाधीश सुधीर परमार और अन्य को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत नामजद किया गया है। मामला कथित भ्रष्टाचार और न्यायिक कदाचार से जुड़ा है।

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जब यह मामला 3 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष आया, तो उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या उन्हें इस पीठ द्वारा सुनवाई पर कोई आपत्ति है। वकील ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता चाहता है कि मामला किसी अन्य पीठ द्वारा सुना जाए। इसके बाद यह मामला दूसरी पीठ को सौंप दिया गया।

इससे पहले मई में, मुख्य न्यायाधीश ने प्रशासनिक स्तर पर यह मामला एकल न्यायाधीश से वापस ले लिया था, जबकि उस न्यायाधीश ने मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया था। इस पर बंसल की कानूनी टीम ने आपत्ति जताई थी, यह तर्क देते हुए कि जिस मामले की सुनवाई हो चुकी हो और जिसका निर्णय सुरक्षित रखा गया हो, उसे वापस नहीं लिया जा सकता।

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मुख्य न्यायाधीश नागू ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि रोस्टर के प्रभारी के रूप में मुख्य न्यायाधीश को “विस्तृत, व्यापक और पूर्ण अधिकार” प्राप्त हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय “संस्थान की गरिमा और सम्मान की रक्षा” तथा संबंधित न्यायाधीश की “प्रतिष्ठा और गरिमा बनाए रखने” के लिए लिया गया।

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