साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 24 वर्षीय छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य शिक्षा विभाग को आदेश दिया कि वह पूरे पश्चिम बंगाल के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संघ कक्ष (यूनियन रूम्स) को तुरंत बंद कर दे।
मुख्य न्यायाधीश सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने अधिवक्ता सयान बनर्जी द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किया। याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि जब राज्य सरकार पहले ही यह स्वीकार कर चुकी है कि छात्र संघों के चुनाव नहीं हुए हैं और कोई आधिकारिक छात्र संघ अस्तित्व में नहीं है, तो यूनियन रूम्स अब भी कैसे चालू हैं?
अधिवक्ता बनर्जी ने बताया, “न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि किसी भी यूनियन रूम में कोई गतिविधि नहीं होगी। यदि किसी अपरिहार्य कारणवश उपयोग करना हो, तो संबंधित प्राचार्य या कुलसचिव से लिखित अनुमति लेनी होगी।”

यह आदेश 25 जून को लॉ कॉलेज कैंपस में हुई गैंगरेप की घटना के बाद सामने आया है, जहां आरोप है कि टीएमसी छात्र संगठन (TMCP) की महिला विंग की सचिव रहीं छात्रा के साथ कॉलेज परिसर में शाम 7:30 बजे से रात 10:50 बजे के बीच दुष्कर्म किया गया। पीड़िता परीक्षा फॉर्म भरने कॉलेज गई थी और आरोप है कि पूर्व छात्र और अब गैर-शिक्षण स्टाफ मनोजित मिश्रा ने “चर्चा” के लिए रुकने को कहा था, जिसके बाद वारदात हुई।
मनोजित मिश्रा (31) को 26 जून को दो छात्रों जैब अहमद (19) और प्रमित मुखर्जी (20) के साथ गिरफ्तार किया गया। कॉलेज के एक सुरक्षा गार्ड को अगले दिन पकड़ा गया। मिश्रा के सोशल मीडिया प्रोफाइल के अनुसार, वह TMCP से जुड़ा रहा है, हालांकि टीएमसी ने उसे किसी पद पर होने से इनकार किया है। वह अलीपुर कोर्ट में आपराधिक मामलों का वकील भी है।
उसी सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह पुलिस जांच की प्रगति पर हलफनामा दायर करे। अदालत के समक्ष दो अन्य PIL लंबित हैं, जिनमें एक स्वतंत्र जांच या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में CBI जांच की मांग की गई है।
एक अन्य याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौम शुभ्र राय ने अदालत में कई गंभीर सवाल उठाए:
- निष्कासित छात्र मिश्रा को फिर से कॉलेज में प्रवेश कैसे मिला?
- कॉलेज समय के बाद छात्र नेता परिसर में क्यों मौजूद थे?
- यूनियन रूम से हथियार कैसे बरामद हुए?
- जिस व्यक्ति पर 10 आपराधिक मामले लंबित हैं, उसे कॉलेज में नौकरी कैसे मिली?
- महिलाओं की सुरक्षा को लेकर राज्यभर के कैंपसों में क्या कदम उठाए गए?
TMCP के राज्य अध्यक्ष त्रिणांकुर भट्टाचार्य ने भी माना कि कॉलेज में वर्षों से कोई सक्रिय छात्र संघ नहीं था, फिर भी यूनियन शुल्क लिया जा रहा था और बड़े आयोजन जारी थे। उन्होंने कहा, “अगर अवैध छात्र संघ सक्रिय न होता, तो लॉ कॉलेज गैंगरेप की घटना शायद नहीं होती।”
हाईकोर्ट का यह आदेश छात्र संघों के नाम पर हो रही अनाधिकृत गतिविधियों पर लगाम लगाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। साथ ही, यह निर्णय कैंपस सुरक्षा, पारदर्शी नियुक्तियों और संस्थागत ढांचे के दुरुपयोग पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। मामले की जांच अभी जारी है।