महाराष्ट्र के ठाणे शहर स्थित एक सत्र न्यायालय ने 2017 के दोहरे हत्याकांड में राजस्थान के एक दंपति को बरी कर दिया है। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपितों का दोष संदेह से परे सिद्ध करने में विफल रहा, और उसके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य अपूर्ण, अनिर्णायक तथा प्रक्रिया में त्रुटिपूर्ण पाए गए।
आरोपितों—अली अकबर अबुजर काचवाला और अमीना इस्माइल शेख—पर नवंबर 2017 में मुंब्रा स्थित घर में नाज़िया और उनकी 11 वर्षीय बेटी की गला रेतकर हत्या करने का आरोप था। इस मामले में दंपति की नाबालिग बेटी को भी सह-आरोपी बनाया गया है, जिसकी सुनवाई किशोर न्यायालय में लंबित है।
सत्र न्यायाधीश ए.एन. सिरसिकर ने 23 जून को अपना फैसला सुनाते हुए अभियोजन की कहानी पर गंभीर संदेह व्यक्त किए। मामला मुख्यतः परोक्ष साक्ष्यों पर आधारित था, जिनमें कथित रूप से बरामद खून लगा चाकू, सीसीटीवी फुटेज और चोरी किए गए सामान शामिल थे, परंतु अदालत ने इन्हें निर्णायक नहीं माना।

न्यायाधीश ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज से आरोपितों की पहचान सिद्ध नहीं होती। महिला बुर्का पहने हुई थी और पुरुष का चेहरा धुंधला दिख रहा था। साथ ही, यह फुटेज भारतीय साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नहीं पाई गई।
अदालत ने अभियोजन के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि किशोरी ने हत्या से पहले पीड़ितों को नशीला पदार्थ दिया था। अदालत ने रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें पीड़ितों के शरीर में किसी विषैले पदार्थ का कोई प्रमाण नहीं मिला।
अली अकबर के पास से कथित रूप से बरामद खून लगे चाकू को भी अदालत ने दोष सिद्ध करने के लिए अपर्याप्त माना। साथ ही, कथित रूप से चोरी हुआ जेवर भी पीड़ितों का होने की पुष्टि नहीं हो सकी, क्योंकि वे सामान्यतः बाज़ार में उपलब्ध डिज़ाइन थे—जिसकी पुष्टि अभियोजन पक्ष के एक गवाह ने भी जिरह के दौरान की।
अदालत ने अमीना की चिकित्सकीय स्थिति पर भी ध्यान दिया—वह पोलियो ग्रस्त हैं और चलने के लिए वॉकर का सहारा लेती हैं। न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे में उनके द्वारा इस प्रकार की नृशंस हत्या में शामिल होने की संभावना अत्यंत क्षीण है। “अमीना के विरुद्ध कोई भी ठोस प्रमाण नहीं है,” अदालत ने टिप्पणी की।
इस मामले में आरोपितों की ओर से अधिवक्ता सागर कोल्हे ने पैरवी की और पूरी अभियोजन कहानी को त्रुटिपूर्ण व अविश्वसनीय बताया।
अंततः, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष किसी भी आरोप को निर्णायक रूप से सिद्ध नहीं कर सका और अली अकबर एवं अमीना दोनों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।