इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आज़म खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म खान से जुड़े दो आपराधिक मामलों में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब्दुल्ला द्वारा दायर याचिकाओं में रामपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति समीर जैन ने मंगलवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
पहला मामला अब्दुल्ला पर फर्जी जन्मतिथि के आधार पर पासपोर्ट प्राप्त करने का है। यह शिकायत भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 30 जुलाई 2019 को रामपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई थी। इसमें पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन और गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया है। शिकायत के अनुसार, अब्दुल्ला को 10 जनवरी 2018 को जारी पासपोर्ट में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज है, जबकि उनकी शैक्षिक प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्शाई गई है।

दूसरा मामला अब्दुल्ला के पास दो पैन कार्ड होने के आरोप से जुड़ा है। यह एफआईआर 6 दिसंबर 2019 को उसी थाने में दर्ज की गई थी, जिसमें अब्दुल्ला के साथ आज़म खान को भी नामजद किया गया है। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, और 471 (जालसाजी से जुड़े अपराध) के तहत आरोप लगाए गए हैं। सक्सेना का आरोप है कि अब्दुल्ला ने 2017 के चुनावी हलफनामे में एक पैन नंबर छुपा लिया और दूसरा प्रस्तुत किया, जिससे चुनाव आयोग को गुमराह किया गया।
इसके साथ ही सक्सेना ने यह भी आरोप लगाया है कि आज़म खान ने जानबूझकर यह षड्यंत्र रचा ताकि उनके बेटे की चुनावी योग्यता सुनिश्चित की जा सके, और इसीलिए दो पैन कार्ड धोखाधड़ी से बनवाए गए।
दोनों मामले वर्तमान में रामपुर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत में विचाराधीन हैं। अब्दुल्ला ने हाईकोर्ट से मांग की है कि इन मामलों में पूरी कार्यवाही को रद्द कर दिया जाए। कोर्ट द्वारा सुरक्षित रखा गया यह निर्णय इन राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों की आगामी दिशा तय करेगा।