कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अंतरिम आदेश में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को निर्देश दिया है कि वे ₹89 करोड़ से अधिक के वाल्मीकि कॉर्पोरेशन घोटाले की जांच के दौरान एकत्रित सभी दस्तावेज़ों और डिजिटल सबूतों की प्रमाणित प्रतियां केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपें।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसे CBI ने एक व्यापक रिट याचिका के हिस्से के रूप में दायर किया था। याचिका में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए आवंटित धन के दुरुपयोग की अदालत-निगरानी में जांच की मांग की गई है।
यह याचिका भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, रमेश जारकीहोली, अरविंद लिंबावली और कुमार बांगड़प्पा ने दायर की थी। इन नेताओं ने SIT पर घोटाले में शामिल प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने का आरोप लगाया है।

CBI की नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कर्नाटक महार्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम (वाल्मीकि कॉर्पोरेशन) से करीब ₹89.63 करोड़ की धनराशि हेराफेरी कर लगभग 700 बैंक खातों के माध्यम से इधर-उधर की गई। आरोप है कि यह धनराशि नकदी, सोने की ईंटों और लग्जरी गाड़ियों में बदली गई और इसमें जाली वित्तीय दस्तावेजों का उपयोग हुआ—जो एक संगठित आपराधिक षड्यंत्र की ओर संकेत करता है।
CBI ने अदालत को बताया कि SIT, ED और फोरेंसिक एजेंसियों से कई बार आग्रह करने के बावजूद उसे अब तक आवश्यक साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए हैं। एजेंसी ने अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की ताकि वित्तीय लेन-देन के सुरागों को ट्रैक कर दोषियों पर कार्रवाई की जा सके।
न्यायालय ने CBI को उन नए सुरागों की भी जांच करने की अनुमति दी जो जांच के दौरान सामने आए हैं, जिनमें कर्नाटक-जर्मन तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान (KGTTI) के केनरा बैंक खाते से ₹95 लाख की राशि आरोपी नेक्कंटी नागराज तक मध्यवर्ती खातों के जरिए पहुंचने का मामला शामिल है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की ₹2.17 करोड़ की राशि भी वाल्मीकि कॉर्पोरेशन के बैंक ऑफ बड़ौदा खाते से निकालकर नागराज तक पहुंचाई गई।
न्यायालय ने कहा, “चूंकि याचिका का उद्देश्य जांच को पूर्ण करना या अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने तक जांच को तर्कसंगत निष्कर्ष तक ले जाना है, इसलिए CBI की स्थिति रिपोर्ट में मांगी गई राहत देना उपयुक्त प्रतीत होता है।”
यह घोटाला मई 2023 में सामने आया था जब वाल्मीकि कॉर्पोरेशन के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी ने आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें सरकारी धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। उनकी मौत के बाद राज्य सरकार ने SIT का गठन किया, वहीं ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की स्वतंत्र जांच शुरू की।
ED पहले ही यह संकेत दे चुकी है कि वाल्मीकि कॉर्पोरेशन के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया खाते से करीब ₹90 करोड़ की अवैध ट्रांसफरिंग की गई थी।
CBI जांच की मांग करने वाले भाजपा नेताओं का आरोप है कि SIT जानबूझकर मामले को दबा रही है और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों को बचा रही है। उनका कहना है कि केवल एक केंद्रीय एजेंसी ही निष्पक्ष जांच कर सकती है।
इन नेताओं की यह याचिका नवंबर 2024 में उच्च न्यायालय द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की CBI जांच की मांग को खारिज करने के बाद दाखिल की गई थी, जब अदालत ने कहा था कि बैंकिंग रेगुलेशन अधिनियम की धारा 35A का उपयोग केंद्रीय एजेंसी की जांच के लिए नहीं किया जा सकता।
मामला अभी लंबित है और CBI अब न्यायिक समर्थन के साथ जांच को आगे बढ़ा रही है।