भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने हाल ही में हुए राजनीतिक प्रदर्शनों के दौरान राज्य पुलिस द्वारा की गई कथित बार-बार की अवैध हिरासत को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की है।
अपने कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में मजूमदार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के हिरासत में लिया, जो संविधान में प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। उनके वकील के माध्यम से दाखिल याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 19 (विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) का हवाला देते हुए कहा गया है कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।
शिक्षा और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत मजूमदार ने अदालत से आग्रह किया है कि वह राज्य सरकार को निर्देश दे कि वह राजनीतिक प्रदर्शनों से निपटने में संविधान और कानून की मर्यादाओं का सख्ती से पालन करे। साथ ही उन्होंने हिरासत की घटनाओं की निष्पक्ष उच्च-स्तरीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग भी की है।

इसी बीच एक संबंधित घटनाक्रम में, लोकसभा सचिवालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से 19 जून को डायमंड हार्बर में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा मजूमदार के काफिले पर हुए कथित हमले को लेकर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। यह अनुरोध मजूमदार द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी गई एक औपचारिक शिकायत के बाद किया गया, जिसमें उन्होंने इस घटना को सांसद की विशेषाधिकार हनन की श्रेणी में बताया।
20 जून को लिखे अपने पत्र में मजूमदार ने आरोप लगाया कि डायमंड हार्बर के पुलिस अधीक्षक और स्थानीय उपमंडल अधिकारी सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस घटना के दौरान आवश्यक सुरक्षा या रोकथाम की व्यवस्था करने में विफल रहे।
बुधवार दोपहर तक, पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से न तो हाईकोर्ट में दायर याचिका पर और न ही विशेषाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की गई थी।