भ्रष्टाचार मामले में 7 दिन की विजिलेंस रिमांड के खिलाफ मजीठिया पहुंचे हाईकोर्ट

शिरोमणि अकाली दल (SAD) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने भ्रष्टाचार के एक मामले में मोहाली की अदालत द्वारा उन्हें पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (VB) की सात दिन की हिरासत में भेजे जाने के आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

50 वर्षीय मजीठिया को 25 जून को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन 26 जून को मोहाली की अदालत ने उन्हें 2 जुलाई तक विजिलेंस की रिमांड पर भेज दिया। यह रिमांड बुधवार को समाप्त हो रही है, लेकिन हाईकोर्ट में मजीठिया की याचिका को अभी सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

मजीठिया ने अपनी याचिका में दलील दी है कि यह रिमांड अवैध है और आपराधिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है, जिससे उनके निष्पक्ष जांच और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने हाईकोर्ट से रिमांड आदेश को रद्द करने और “आगे किसी दुरुपयोग को रोकने” के लिए उचित निर्देश जारी करने की मांग की है।

Video thumbnail

याचिका में कहा गया है, “यह याचिका आपराधिक प्रक्रिया के दुरुपयोग, रिमांड अधिकारों के अनुचित प्रयोग और निष्पक्ष जांच व स्वतंत्रता के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण विधिक और सैद्धांतिक सवाल उठाती है।”

READ ALSO  AAP विधायक अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

विजिलेंस ब्यूरो का आरोप है कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि 540 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग्स से जुड़ी धनराशि को कई माध्यमों से अवैध रूप से सफेद धन में बदला गया, जिसमें मजीठिया की संलिप्तता पाई गई है। उल्लेखनीय है कि मजीठिया पहले से ही 2021 के एक ड्रग्स मामले में जांच का सामना कर रहे हैं।

मजीठिया की याचिका का दावा है कि यह मामला “राजनीतिक बदले की भावना और प्रतिशोध” का परिणाम है, जिसका उद्देश्य एक मुखर आलोचक और राजनीतिक विरोधी को बदनाम करना और परेशान करना है।

उन्होंने हिरासत में पूछताछ के आधार पर भी सवाल उठाया है, यह कहते हुए कि विजिलेंस द्वारा दाखिल रिमांड अर्जी में कोई “ठोस और तात्कालिक जांच आधार” नहीं था, बल्कि केवल उनके कथित विदेशी संपर्कों और प्रभाव के बारे में अस्पष्ट दावे किए गए।

READ ALSO  26 साल पहले 6 रूपये के लिए बर्खास्त रेलवे क्लर्क को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत

याचिका में कहा गया है, “ये दावे स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता से कबूलनामा या स्वीकारोक्ति लेने के उद्देश्य को दर्शाते हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) के तहत प्रदत्त सुरक्षा का उल्लंघन है।”

मोहाली अदालत के रिमांड आदेश को “मनमाना और बिना कारण बताए” करार देते हुए मजीठिया ने कहा कि आदेश में यह नहीं दर्शाया गया कि मजिस्ट्रेट ने न्यायिक विवेक का प्रयोग किया, खासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही 2021 के ड्रग्स मामले में हिरासत में पूछताछ से इनकार कर चुका है।

READ ALSO  कर्नाटक हाईकोर्ट: बीमा नामांकन उत्तराधिकार कानूनों का स्थान नहीं लेते

जैसे-जैसे रिमांड अवधि समाप्त होने के करीब आ रही है, हाईकोर्ट से जल्द ही इस मामले को सुनवाई के लिए लेने की उम्मीद है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles