एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे में मारे गए ब्रिटिश नागरिकों के परिजन एयर इंडिया और विमान निर्माता कंपनी बोइंग के खिलाफ ब्रिटेन की अदालतों में मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। वे इस हादसे में हुए अपूरणीय नुकसान के लिए अधिक मुआवज़े की मांग कर सकते हैं। इस त्रासदी में 242 यात्रियों और क्रू में से 241 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि जमीन पर भी कम से कम 34 लोग मारे गए थे। हादसे के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाराजगी और कानूनी चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुकदमा बहुराष्ट्रीय विमानन कंपनियों की जिम्मेदारियों को लेकर एक मिसाल कायम कर सकता है।
फ्लाइट AI 171 की त्रासदी
12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन गैटविक के लिए रवाना हुई थी, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद यह विमान मेघानी नगर क्षेत्र में स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर में 230 यात्री और 12 क्रू सदस्य सवार थे। उड़ान के तुरंत बाद पायलट ने “मेडे” कॉल कर थ्रस्ट लॉस की सूचना दी और कुछ ही क्षणों में विमान आग के गोले में तब्दील हो गया।
हादसे में बोर्ड पर सवार 242 लोगों में से सिर्फ एक यात्री—ब्रिटिश नागरिक विश्वशकुमार रमेश—जिंदा बच पाए, जिनकी हालत गंभीर है। हादसे में जमीन पर मौजूद 34 लोग भी मारे गए, जिनमें मेडिकल छात्र भी शामिल थे, और कम से कम 60 लोग घायल हुए। यह भारत की 1996 के बाद की सबसे भयावह विमान दुर्घटना है, और बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के 2011 में परिचालन शुरू होने के बाद पहली घातक दुर्घटना भी।

विमान में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक सवार थे। मृतकों में 52 ब्रिटिश नागरिक शामिल थे—जिनमें परिवार, छात्र और पेशेवर लोग थे—और अब उनके परिजन न्याय और मुआवज़े की तलाश में हैं। एकमात्र जीवित यात्री रमेश ने डीडी न्यूज़ को बताया, “अब तक यकीन नहीं हो रहा कि मैं कैसे बच गया।”
ब्रिटेन में कानूनी कार्रवाई की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, ब्रिटेन में पीड़ितों के परिजन लंदन की प्रमुख लॉ फर्म कीस्टोन लॉ से सलाह ले रहे हैं ताकि एयर इंडिया और बोइंग के खिलाफ इंग्लैंड के कानून के तहत लंदन हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया जा सके। उनका उद्देश्य एयर इंडिया और टाटा ग्रुप द्वारा दिए गए प्रारंभिक मुआवज़े से कहीं अधिक मुआवज़ा प्राप्त करना है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि परिजन अमेरिकी संघीय अदालतों में भी बोइंग के खिलाफ मुकदमा दायर करने पर विचार कर सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जांच में क्या सामने आता है।
टाटा ग्रुप ने दुर्घटना के तुरंत बाद ₹1 करोड़ (लगभग £86,000 या $120,000) प्रति मृतक के रूप में मुआवज़ा देने की घोषणा की थी, जिसे बाद में एयर इंडिया द्वारा ₹25 लाख (लगभग £21,000) के अंतरिम भुगतान से पूरित किया गया। हालांकि, मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत, जो भारत और ब्रिटेन दोनों द्वारा अनुमोदित है, प्रत्येक मृतक यात्री के परिजनों को न्यूनतम ₹15 लाख (लगभग $180,000) का मुआवज़ा देने का प्रावधान है, और अगर लापरवाही या तकनीकी खामी सिद्ध होती है, तो यह राशि काफी अधिक हो सकती है।
कीस्टोन लॉ के अंतरराष्ट्रीय विमानन विशेषज्ञ जेम्स हीली-प्रैट और ओवेन हन्ना, अमेरिका स्थित विस्नर लॉ फर्म के साथ मिलकर इस मामले को संभाल रहे हैं। विस्नर फर्म 2020 के एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे के मामलों में भी सक्रिय रही है। हीली-प्रैट ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा, “हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है कि पीड़ितों के परिवारों को सच्चाई और न्याय मिले।” उन्होंने चेतावनी दी कि एयर इंडिया की बीमा कंपनी टाटा AIG द्वारा दिए जा रहे प्रारंभिक समझौते के प्रस्तावों को बिना स्वतंत्र कानूनी सलाह के स्वीकार न करें, क्योंकि इससे बाद में पूर्ण मुआवज़े के लिए दावा करना मुश्किल हो सकता है।
सोशल मीडिया मंच X पर इस कानूनी प्रयास को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। एक पोस्ट में कहा गया, “कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला बहुराष्ट्रीय विमानन दायित्वों के लिए एक नई मिसाल बना सकता है।”
मुकदमे के आधार
यह मुकदमे एयर इंडिया, बोइंग या दोनों की संभावित लापरवाही या तकनीकी खामी पर केंद्रित होंगे। प्रारंभिक जांच से संकेत मिले हैं कि टक्कर से ठीक पहले विमान की इमरजेंसी पावर यूनिट सक्रिय हो गई थी, जो टेकऑफ के दौरान इंजन या हाइड्रोलिक फेल्योर का संकेत हो सकता है। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर को घटनास्थल से बरामद कर लिया गया है, और इनका विश्लेषण भारत की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB), अमेरिका के NTSB और ब्रिटिश जांचकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है। पायलट की अंतिम रेडियो कॉल—“मेडे! मेडे! मेडे! थ्रस्ट नॉट अचीव्ड”—ने तकनीकी खामी की आशंका को और बल दिया है।
बोइंग, जो हाल के वर्षों में अपनी 737 मैक्स सीरीज़ को लेकर जांच के दायरे में रहा है, ने जांच में पूरा सहयोग देने की बात कही है। दुर्घटना वाला ड्रीमलाइनर 2014 में एयर इंडिया को दिया गया था, और पिछले एक साल में 700 से अधिक उड़ानें पूरी कर चुका था। हालांकि अब तक इस मॉडल का सुरक्षा रिकॉर्ड अच्छा रहा है, लेकिन बोइंग की निर्माण प्रक्रियाओं को लेकर सामने आए व्हिसलब्लोअर के आरोपों ने पीड़ित परिवारों की चिंता बढ़ा दी है।
वहीं एयर इंडिया, जिसे 2022 में टाटा ग्रुप ने अधिग्रहीत किया था, उस पर भी डीजीसीए द्वारा सुरक्षा और सेवा में चूक के चलते जुर्माना लगाया जा चुका है। डीजीसीए ने एहतियात के तौर पर एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमानों की विशेष जांच के निर्देश दिए हैं, जिनमें ईंधन प्रणाली, इंजन नियंत्रण और टेकऑफ मापदंडों की समीक्षा शामिल है।
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, पीड़ित परिजन उन देशों की अदालतों में भी दावा कर सकते हैं जहां एयरलाइन का संचालन है या मृतकों का निवास है। ऐसे में ब्रिटेन की अदालतें उपयुक्त मंच हो सकती हैं क्योंकि एयर इंडिया वहां संचालन करती है और बड़ी संख्या में ब्रिटिश नागरिक पीड़ित हैं। अगर लापरवाही सिद्ध होती है, तो एयर इंडिया और बोइंग को “अनलिमिटेड लायबिलिटी” का सामना करना पड़ सकता है, और मुआवज़े की राशि उनकी बीमा सीमा—एयर इंडिया के $1.5 बिलियन और संयुक्त रूप से दोनों कंपनियों के $4 बिलियन—से भी अधिक हो सकती है।
भावनात्मक और व्यावहारिक चुनौतियाँ
कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ पीड़ितों के परिजनों को भारी भावनात्मक और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दुर्घटना में 1500 डिग्री सेल्सियस तक की भीषण गर्मी के कारण शवों की पहचान करना कठिन हो गया है। 15 जून तक DNA जांच से 119 शवों की पहचान हो चुकी थी और 76 शव परिजनों को सौंपे जा चुके थे।
एक पीड़ित रिनाल क्रिश्चियन, जिनके भाई ही परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे, ने AFP से कहा, “चार दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।”
ब्रिटेन में मृतकों के परिजन जैसे अकील नानाबावा, उनकी पत्नी हन्ना वोराजी और चार वर्षीय बेटी सारा के रिश्तेदारों ने सरकार की ओर से समर्थन की कमी पर निराशा जताई है। लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के बाहर बहु-धार्मिक शोक सभा ने इस हादसे में समाज की सामूहिक पीड़ा को उजागर किया।