मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को इंदौर-देवास खंड पर हाल ही में हुए लगभग 50 घंटे लंबे ट्रैफिक जाम को लेकर केंद्र सरकार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और स्थानीय प्रशासन को नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई देवास निवासी अधिवक्ता आनंद अधिकारी द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर की गई है।
इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने केंद्र, NHAI, इंदौर प्रशासन और पुलिस को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। साथ ही, हाईवे पर निर्माण कार्य कर रही निजी कंपनी को भी मामले में पक्षकार बनाया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गिरीश पटवर्धन ने कोर्ट को बताया कि बुधवार से शुक्रवार तक इंदौर-देवास मार्ग पर हुए इस अभूतपूर्व जाम ने हजारों लोगों को गंभीर असुविधा में डाल दिया। पटवर्धन ने कहा, “याचिका का उद्देश्य यह है कि व्यस्त इंदौर-देवास खंड पर चल रहे निर्माण कार्य की निगरानी हाईकोर्ट द्वारा की जाए ताकि संबंधित पक्षों की जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।”

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक भारी वाहनों के लिए लागू वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था जारी रखी जाए।
याचिका में एक दुखद घटना का उल्लेख भी किया गया है—इंदौर निवासी विजय पांचाल ने दावा किया कि उनके 65 वर्षीय पिता कमल पांचाल की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई जब वे इस जाम में फंसे हुए थे। यह घटना बताती है कि बुनियादी ढांचे की विफलता का मानवीय मूल्य कितना गंभीर हो सकता है।
हाईकोर्ट का यह हस्तक्षेप प्रदेश में राजमार्ग निर्माण की धीमी गति और यातायात प्रबंधन की खस्ता हालत को लेकर बढ़ते जन असंतोष के बीच आया है।