सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के law student की एनएसए के तहत गिरफ्तारी रद्द की, बताया ‘पूरी तरह अनुचित’

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के एक law student की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गई गिरफ्तारी को “पूरी तरह अनुचित” करार देते हुए उसकी तुरंत रिहाई का आदेश दिया। अदालत ने राज्य सरकार की कार्रवाई में कई प्रक्रियागत खामियों की ओर इशारा किया।

न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश बेटूल जिले के रहने वाले law student अन्नू उर्फ अनीकेत के पक्ष में पारित किया। अन्नू को 11 जुलाई 2024 को विश्वविद्यालय परिसर में एक प्रोफेसर से विवाद के बाद NSA के तहत हिरासत में लिया गया था। शुरुआत में उस पर हत्या के प्रयास सहित कई आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। इन मामलों में जेल में रहने के दौरान उसके खिलाफ NSA की धारा 3(2) के अंतर्गत निरोधात्मक हिरासत का आदेश पारित किया गया, जिसे हर तीन महीने पर बढ़ाया जाता रहा और हालिया विस्तार 12 जुलाई 2025 तक किया गया था।

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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि हिरासत आदेश में दिए गए कारण NSA के तहत निरोध की वैधानिक कसौटी पर खरे नहीं उतरते। पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, “अतः अपीलकर्ता की निरोधात्मक हिरासत पूरी तरह से अनुचित हो जाती है।” अदालत ने स्पष्ट किया कि विस्तृत और कारणसहित निर्णय बाद में जारी किया जाएगा।

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शीर्ष अदालत ने हिरासत प्रक्रिया के कई पहलुओं की आलोचना की। अदालत ने विशेष रूप से इस बात पर आपत्ति जताई कि बेटूल के जिला मजिस्ट्रेट ने अन्नू द्वारा दी गई अभ्यावेदन को राज्य सरकार को अग्रेषित किए बिना स्वयं ही खारिज कर दिया, जो NSA के तहत उपलब्ध वैधानिक सुरक्षा का उल्लंघन है। अदालत ने यह भी कहा कि जब अपीलकर्ता पहले से ही आपराधिक मामलों में न्यायिक हिरासत में था, तब भी NSA के तहत हिरासत का आदेश जारी करने का कोई वैध आधार नहीं दिखाया गया।

अदालत ने कहा, “जो स्थिति सामने आती है, वह यह है कि अपीलकर्ता केवल निरोधात्मक हिरासत आदेश के कारण जेल में बना हुआ है।” अदालत ने निर्देश दिया कि यदि किसी अन्य लंबित मामले में उसे हिरासत में रखना आवश्यक न हो, तो उसे भोपाल केंद्रीय जेल से रिहा किया जाए।

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मध्य प्रदेश सरकार ने अन्नू के खिलाफ नौ आपराधिक मामलों का हवाला देकर उसकी हिरासत को उचित ठहराने की कोशिश की, लेकिन बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि इनमें से पांच मामलों में उसे बरी किया जा चुका है, एक मामले में केवल जुर्माना हुआ है और शेष दो मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है। सबसे हालिया मामले में 28 जनवरी 2025 को उसे जमानत दी गई थी।

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सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 25 फरवरी को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा अन्नू के पिता की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज किए जाने के निर्णय को पलटता है। हाई कोर्ट ने law student के आपराधिक इतिहास को आधार बनाकर NSA के तहत हिरासत को सही ठहराया था और माना था कि जिला मजिस्ट्रेट की “वैयक्तिक संतुष्टि” ही निरोध के लिए पर्याप्त है।

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