गुजरात हाईकोर्ट की ऑनलाइन कार्यवाही के दौरान एक व्यक्ति द्वारा शौचालय से पेश होने का मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया है। यह घटना 20 जून को उस समय हुई जब जस्टिस निरज़ार एस देसाई की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई चल रही थी।
वायरल हुए एक मिनट के वीडियो में ‘Samad Battery’ नाम से ज़ूम मीटिंग में शामिल एक व्यक्ति को शौचालय में बैठे हुए देखा गया। वीडियो में वह व्यक्ति शौचालय की सीट पर बैठा हुआ है, कान में ईयरफोन लगाए हुए है और उसने अपना मोबाइल फ़ोन ज़मीन पर रखकर खुद को साफ़ करते हुए भी देखा गया।
सुनवाई के दौरान, कोर्टरूम में एक वकील अपने तर्क पेश कर रहा था। यह मामला चेक बाउंस से जुड़ी एक आपराधिक शिकायत का था, जिसमें वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति शिकायतकर्ता बताया गया है और वह एफआईआर रद्द करने की एक याचिका में प्रतिवादी के तौर पर पेश हो रहा था।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब गुजरात हाईकोर्ट की कार्यवाही में अनुशासनहीनता देखने को मिली हो। मार्च 2025 में, हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया था और उसे सामुदायिक सेवा की सजा सुनाई थी क्योंकि वह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान शौचालय से पेश हुआ था। उससे पहले फरवरी में एक अन्य व्यक्ति पर ₹25,000 का जुर्माना इसलिए लगाया गया था क्योंकि वह बिस्तर पर लेटे हुए कार्यवाही में शामिल हुआ था।
इन घटनाओं ने वर्चुअल कोर्ट की मर्यादा और अनुशासन पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। कोर्ट कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि ऑनलाइन सुनवाई के दौरान भी अदालत की गरिमा बनाए रखना अनिवार्य है।
हालिया मामले में अब तक अदालत की ओर से कोई औपचारिक कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, वीडियो के व्यापक प्रसार के बाद न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने की दिशा में कड़े कदमों की मांग तेज़ हो गई है।