दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में अंतरिम आदेश जारी करते हुए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह कथित अपहरण के आरोपों का सामना कर रहे एक सेवारत CRPF जवान को 3 जुलाई तक गिरफ्तार न करे, बशर्ते वह जांच में पूरा सहयोग करे।
न्यायमूर्ति मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने 23 जून को जवान की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। जवान के खिलाफ साकेत पुलिस स्टेशन द्वारा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 140(2) (हत्या या फिरौती के लिए अपहरण या बलपूर्वक ले जाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अदालत ने निर्देश दिया, “अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, बशर्ते वह जांच में सम्मिलित होकर पूरा सहयोग करे।” जवान को निर्देश दिया गया है कि वह 24 जून शाम 5 बजे जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो और भविष्य में भी जब-जब बुलाया जाए, तब-तब पेश हो।

अदालत ने अभियोजन पक्ष को यह भी निर्देश दिया कि वह 3 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई से दो दिन पूर्व स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।
सुनवाई के दौरान जवान के वकील ने तर्क दिया कि कथित पीड़ित और जवान पिछले डेढ़ साल से दोस्त थे और 4 जून को पीड़ित स्वेच्छा से जवान के साथ कश्मीर गया था। वकील ने यह भी बताया कि 7 जून को जम्मू-कश्मीर के कठुआ में पीड़ित ने पुलिस को एक लिखित बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि उसका अपहरण नहीं हुआ था और कोई फिरौती की मांग नहीं की गई थी।
हालांकि, अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि पीड़ित ने 14 जून को अपना बयान बदलते हुए कहा कि उसका वास्तव में अपहरण किया गया था। इसके अलावा, शिकायतकर्ता—जो पीड़ित की पत्नी है—को व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुए जिनमें कथित रूप से फिरौती की मांग की गई थी। अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि जवान 3 जून से CRPF की ड्यूटी से गैरहाज़िर है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी, तब तक जवान को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्राप्त रहेगी।