पुलिस अधिकारी खुद को महिमामंडित करते हैं, लेकिन जन शिकायतों से बचते हैं — इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के व्यवहार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि पुलिस प्रायः खुद की एक महिमामंडित छवि प्रस्तुत करती है, लेकिन जन शिकायतों को सुनने और उस पर कार्रवाई करने से बचती है।

जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस अनिल कुमार की खंडपीठ ने यह टिप्पणी एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जो नितेश कुमार द्वारा अपने लापता भाई की बरामदगी के लिए दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि वाराणसी के संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके भाई का पता लगाने में घोर लापरवाही बरती जा रही है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी के रिक्त पदों पर ओबीसी उम्मीदवारों की नियुक्ति की मांग वाली याचिका खारिज की

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अपहरण या किडनैपिंग के मामलों में पुलिस आमतौर पर उदासीन रवैया अपनाती है, क्योंकि किसी भी अधिकारी पर व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय नहीं की जाती। पीठ ने कहा, “जब अपहृत व्यक्ति का समय से पता नहीं लगाया जाता और अंततः उसकी हत्या हो जाती है, तो यह निष्क्रियता हत्या का कारण बनती है।”

Video thumbnail

हाईकोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि यदि किसी अपहृत व्यक्ति की समय पर बरामदगी नहीं हो पाती और उसकी मौत हो जाती है, तो संबंधित थाना क्षेत्र के प्रभारी अधिकारी पर प्राथमिक रूप से जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, क्योंकि उसकी लापरवाही के चलते यह गंभीर परिणाम हुआ।

READ ALSO  मोटर दुर्घटना दावों के लिए संभाव्यता की प्रबलता पर प्रमाण की आवश्यकता होती है, जो उचित संदेह से परे न हो: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और साथ ही वाराणसी के पुलिस आयुक्त से 12 जून तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि अब तक अपहृत व्यक्ति की बरामदगी क्यों नहीं हो पाई।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles