सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) चुनावों में जूनियर एग्जीक्यूटिव सदस्य पदों के लिए एक बार फिर से मतगणना कराने का आदेश दिया है। हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को अध्यक्ष पद पर उनकी जीत सोमवार को हुई पहली रिकाउंट के बाद न्यायालय ने पुष्टि कर दी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हालांकि चुनाव समिति ने सोमवार को सभी पदों के लिए एक बार मतगणना की थी, लेकिन जूनियर एग्जीक्यूटिव सदस्यों (कुल 9 पद) को लेकर कुछ आपत्तियाँ बनी हुई हैं। कोर्ट ने कहा, “हमने चुनाव समिति से आग्रह किया है कि वे कुछ असंतुष्ट सदस्यों की संतुष्टि के लिए एक और बार मतगणना कराएं।”
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यह मतगणना सभी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की जाए और कोई भी इस प्रक्रिया में बाधा न डाले। “अगर हमें कोई शिकायत मिली तो कठोर कार्रवाई की जाएगी,” अदालत ने चेताया।

पृष्ठभूमि
SCBA के चुनाव 20 मई को हुए थे, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं आदिश सी. अग्रवाला और प्रदीप कुमार राय को हराकर अध्यक्ष पद हासिल किया था। सोमवार को हुई पुनर्मतगणना के बाद सिंह की जीत का अंतर और बढ़ गया।
हालांकि, प्रारंभिक मतगणना के बाद कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया था कि वोटों की संख्या जारी किए गए बैलट स्लिप्स से अधिक थी, जिससे फर्जी मतदान और अन्य अनियमितताओं की आशंका जताई गई। इसके बाद यह मामला 26 मई को अवकाशकालीन पीठ के समक्ष लाया गया, जिसकी सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने की थी।
कोर्ट ने सभी पदों की पुनर्मतगणना के आदेश दिए और निर्देशित किया कि जब तक यह रिपोर्ट न आए, तब तक परिणाम घोषित न किए जाएं। सोमवार को रिपोर्ट आने के बाद विकास सिंह की अध्यक्ष पद पर जीत की पुष्टि कर दी गई।
आधारहीन आरोपों पर फटकार
मंगलवार को हुई सुनवाई में अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आदिश सी. अग्रवाला को कड़ी फटकार लगाई। अग्रवाला ने चुनाव समिति के कुछ सदस्यों पर पक्षपात का आरोप लगाया था, जिसे कोर्ट ने “निराधार और आपत्तिजनक” बताया।
कोर्ट ने टिप्पणी की, “हम बार के सदस्यों को सलाह देते हैं कि वे ऐसे प्रोपेगेंडा से दूर रहें जो संस्था की साख को नुकसान पहुंचाता है।” जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ की तीखी टिप्पणी के बाद, अग्रवाला ने अपने आरोप निर्विवाद रूप से वापस ले लिए, जिसके चलते अदालत ने उनके आवेदन पर कोई आदेश पारित नहीं किया।
जस्टिस के.वी. विश्वनाथन ने चुनाव समिति की निष्पक्षता का समर्थन करते हुए कहा, “अगर आप समिति के सदस्यों को धमकाएंगे या दबाव बनाएंगे तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। वे हमारे अधिकारी हैं, हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।”
समिति पर विश्वास
हालांकि कुछ अधिवक्ताओं — विशेष रूप से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप राय — ने प्रक्रिया पर सवाल उठाए, लेकिन अदालत ने चुनाव समिति पर विश्वास व्यक्त किया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “क्या अब भी हमें उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए? यह एक वार्षिक प्रक्रिया है जिसमें पारदर्शिता ज़रूरी है। समिति ने सराहनीय कार्य किया है।”
चुनाव समिति की सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी ने अदालत को बताया कि जूनियर एग्जीक्यूटिव सदस्य पद को लेकर सिर्फ 14 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। समिति के अन्य सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया ने कहा कि बार-बार की गिनती से समिति मानसिक रूप से थक चुकी है। इसके बावजूद, न्यायालय ने अंतिम बार फिर से मतगणना कर आरोपों का समाधान करने और विश्वास बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
पुष्टि किए गए परिणाम
- अध्यक्ष: वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह (रिकाउंट के बाद पुष्टि)
- उपाध्यक्ष: वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल कौशिक
- सचिव: अधिवक्ता प्रज्ञा बघेल
जूनियर एग्जीक्यूटिव सदस्यों के परिणाम अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुनः मतगणना के बाद घोषित किए जाएंगे।