भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने आज तीन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए जाने की सिफारिश की है। इस अहम फैसले की अगुवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद नए मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई कर रहे हैं। कॉलेजियम की इस अनुशंसा से देश के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक क्षमता को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
जिन तीन न्यायाधीशों के नाम सुप्रीम कोर्ट के लिए सुझाए गए हैं, वे हैं:
- न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया, वर्तमान में कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (मूल हाई कोर्ट: गुजरात);
- न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई, वर्तमान में गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (मूल हाई कोर्ट: राजस्थान);
- न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर, बॉम्बे हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश।
न्यायमूर्तियों की पृष्ठभूमि
न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया ने अगस्त 1988 में गुजरात हाई कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एस. एन. शेलत के साथ वकालत की शुरुआत की थी। उन्होंने संवैधानिक, सिविल, श्रम और सेवा से जुड़े मामलों में गहरी विशेषज्ञता हासिल की है। वे राज्य चुनाव आयोग, गुजरात औद्योगिक विकास निगम और गुजरात हाई कोर्ट जैसी संस्थाओं के लिए स्थायी वकील भी रहे हैं। उन्हें 21 नवंबर 2011 को गुजरात हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 6 सितंबर 2013 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 25 फरवरी 2024 को उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई ने 8 जुलाई 1989 को अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया था। उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल, जोधपुर में विविध मामलों में वकालत की — जिनमें सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, सेवा और चुनाव से संबंधित मामले शामिल हैं। वे 2000 से 2004 तक भारत सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील रहे और राजस्थान सरकार के कई विभागों का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें 8 जनवरी 2013 को राजस्थान हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 7 जनवरी 2015 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 5 फरवरी 2024 को उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली।
न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर ने 21 जुलाई 1988 को अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया था। उन्होंने मुंबई में वरिष्ठ अधिवक्ता बी. एन. नाइक के साथ करियर की शुरुआत की, जो बाद में न्यायाधीश बने। 1992 में वे नागपुर स्थानांतरित हो गए, जहाँ उन्होंने विभिन्न न्यायालयों में व्यापक कानूनी मामलों में पैरवी की। वे दो महत्वपूर्ण विधायी विषयों पर पुस्तकें भी लिख चुके हैं—महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत एवं औद्योगिक नगर अधिनियम, 1965 और महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम, 1999। उन्हें 21 जून 2013 को बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
कॉलेजियम की यह अनुशंसा न केवल क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करती है, बल्कि विभिन्न कानूनी विषयों में विशेषज्ञता रखने वाले न्यायाधीशों को सर्वोच्च अदालत में स्थान देकर न्यायिक प्रणाली को अधिक सक्षम बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
अब इन नामों को अंतिम मंजूरी केंद्र सरकार द्वारा दी जानी बाकी है। मंजूरी मिलने के बाद, ये नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक दक्षता और विविधता को महत्वपूर्ण रूप से सुदृढ़ करेंगी।