गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पूर्व AASU महासचिव शंकरज्योति बरुआ को मारपीट मामले में दी अंतरिम जमानत

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सोमवार को असम छात्र संघ (AASU) के पूर्व महासचिव शंकरज्योति बरुआ को डिब्रूगढ़ जिले के एक पेट्रोल पंप पर हुई कथित मारपीट के मामले में अंतरिम जमानत दे दी। बरुआ की मंगलवार को जेल से रिहाई की संभावना है।

बरुआ को 19 मई को डुलियाजान थाना क्षेत्र में दर्ज दो मामलों में गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से एक पेट्रोल पंप पर कथित शारीरिक हमला से जुड़ा था। इस घटना के बाद राज्य भर में कई छात्र और युवा संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए थे।

बरुआ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अंगशुमान बोरा ने हाईकोर्ट में पैरवी की। उन्होंने बताया कि दोनों मामले शुरू में जमानती थे, लेकिन बाद में पुलिस ने एक मामले में हत्या के प्रयास (IPC की धारा 307) का आरोप जोड़ दिया, जिससे वह मामला गैर-जमानती हो गया।

Video thumbnail

“बरुआ को पहले मामले में पहले ही निचली अदालत से जमानत मिल चुकी थी। अब हाईकोर्ट ने दूसरे मामले में भी अंतरिम जमानत दे दी है,” बोरा ने कहा। “उनकी रिहाई की प्रक्रिया मंगलवार को पूरी होने की संभावना है, लेकिन हम तभी निश्चित रूप से कह सकते हैं जब आदेश की प्रमाणित प्रति मिल जाएगी,” उन्होंने जोड़ा।

बरुआ को कोर्ट में पेशी के दौरान हथकड़ी लगाए जाने को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हथकड़ी लगाई थी, लेकिन अब उन्हें निर्देश दिया गया है कि बरुआ को फिर से हथकड़ी न लगाई जाए।

READ ALSO  एनसीडीआरसी ने बिजली बिलिंग विवाद में राज्य आयोग के फैसले को पलटा

पूर्व AASU नेता को हथकड़ी लगाए जाने के विरोध में कई संगठनों ने डुलियाजान में पिछले सप्ताह 12 घंटे का बंद भी बुलाया था और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

गौरतलब है कि बरुआ ने पिछले वर्ष AASU के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। उन पर एक विधि छात्रा द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप भी लगे थे, जिसके बाद उनका निजी जीवन विवादों में आ गया था।

READ ALSO  आपराधिक कार्यवाही के निष्कर्ष तक अनुशासनात्मक कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles