दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को राजनीतिक विश्लेषक अभिजीत अय्यर मित्रा को नौ महिला पत्रकारों द्वारा दायर मानहानि मुकदमे में समन जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि मित्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर उनके खिलाफ अपमानजनक, झूठे और दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियाँ कीं।
न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने मित्रा को नोटिस जारी कर उनके लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और सोशल मीडिया मंच X से भी इस मामले में उसकी स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
महिला पत्रकारों ने अदालत से अनुरोध किया है कि मित्रा को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोका जाए, उनसे एक सार्वजनिक माफ़ी मंगाई जाए और ₹2 करोड़ का हर्जाना दिलाया जाए। याचिका में कहा गया है कि मित्रा ने “अपमानजनक शब्दों और गालियों” का प्रयोग करते हुए सोशल मीडिया पर लगातार हमले किए।
हालांकि मित्रा ने पिछली सुनवाई के बाद अदालत की मौखिक टिप्पणियों के चलते अपनी सभी पोस्ट हटा दी थीं, फिर भी याचिकाकर्ताओं ने अदालत से स्थायी निर्देश जारी करने की मांग की।
अदालत ने कहा, “हम इस समय आपको नहीं रोक रहे हैं, लेकिन ‘लक्ष्मण रेखा’ कहां है, यह आपको समझना होगा। जब तक आपकी अभिव्यक्ति की आज़ादी मानहानिपूर्ण नहीं होती, तब तक आप उसे इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर ऐसा होता है, तो वादी को फिर से अदालत आने की छूट है।”
वादियों की ओर से अधिवक्ता बानी दीक्षित और फ़रमान अली ने तर्क दिया कि मित्रा ने अब तक अपने बयानों के लिए कोई पश्चाताप नहीं दिखाया है।
मित्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सीवल बिलीमोरिया ने दावा किया कि उनके क्लाइंट की पोस्ट मानहानिपूर्ण नहीं थीं और उन्होंने अदालत के निर्देश के पालन में उन्हें हटा लिया था। उन्होंने याचिका खारिज करने की मांग की और एक मीडिया संस्था के खिलाफ जांच की मांग भी रखी, जिसे अदालत ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि “उसके लिए अलग उपाय हैं।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि उसकी पूर्व की हटाने संबंधी व्यवस्था यथावत रहेगी और यदि भविष्य में कोई आपत्तिजनक सामग्री फिर पोस्ट होती है, तो याचिकाकर्ता दोबारा अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।
मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी।