देश की न्यायिक इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना 25 मई से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा बन जाएंगी। वर्तमान में शीर्ष अदालत की पांचवीं वरिष्ठतम न्यायाधीश, नागरत्ना जस्टिस अभय एस. ओका के सेवानिवृत्त होने के बाद कॉलेजियम में शामिल हो रही हैं। उन्हें 23 सितंबर 2027 को भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने का अवसर मिलेगा।
नवगठित कॉलेजियम में अब भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश गवई सोमवार को अपना पहला कॉलेजियम बैठक बुला सकते हैं, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय की तीन रिक्तियों और विभिन्न उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
न्यायमूर्ति नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर 1962 को हुआ था। वे भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ई.एस. वेंकटारमैया की पुत्री हैं। उन्होंने 28 अक्टूबर 1987 को बेंगलुरु में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया और संविधान, वाणिज्य, बीमा और सेवा से जुड़े मामलों में अभ्यास किया। उन्हें 18 फरवरी 2008 को कर्नाटक उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 17 फरवरी 2010 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया।
वह सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में 29 अक्टूबर 2027 तक कार्यरत रहेंगी, और 23 सितंबर 2027 से देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है।
कॉलेजियम प्रणाली, जो 1993 के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद अस्तित्व में आई, देश की सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति, स्थानांतरण और पदोन्नति की सिफारिश करती है। सरकार सिफारिशों को लौटा सकती है, लेकिन कॉलेजियम द्वारा सिफारिशों को दोहराने पर सामान्यतः उन्हें स्वीकार कर लिया जाता है।