सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाते हुए तमिलनाडु की सरकारी शराब बिक्री एजेंसी TASMAC के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगा दी। यह जांच शराब दुकान लाइसेंस देने में कथित भ्रष्टाचार को लेकर चल रही थी।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद गठित पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने तमिलनाडु सरकार और TASMAC द्वारा दायर याचिकाओं पर ईडी को नोटिस जारी किया और कहा:
“आपकी ईडी सारी सीमाएं पार कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रहा है।”

पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से यह टिप्पणी करते हुए कहा कि जब राज्य सरकार ने स्वयं 2014 से शराब दुकान लाइसेंस आवंटन से जुड़े मामलों में 40 से अधिक FIR दर्ज की हैं, तो अब ईडी क्यों इस मामले में दखल दे रही है और TASMAC पर छापेमारी कर रही है।
“आप एक राज्य संचालित TASMAC पर कैसे छापा मार सकते हैं?” पीठ ने सवाल किया।
ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए अदालत ने फिलहाल जांच आगे बढ़ाने से मना किया है।
राज्य सरकार और TASMAC ने मद्रास हाईकोर्ट के 23 अप्रैल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने ईडी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कार्रवाई जारी रखने की अनुमति दी थी।
ईडी की ओर से यह दावा किया गया था कि शराब लाइसेंस मामले में ₹1,000 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फिलहाल रोक लगाते हुए ईडी से जवाब मांगा है।
अब यह मामला ईडी के जवाब दाखिल करने के बाद अगली सुनवाई में आगे बढ़ेगा।