हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPPCL) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान विशेष जांच दल (SIT) की निष्पक्षता पर राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) अतुल वर्मा ने सवाल उठाए, जबकि महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) अनुप कुमार रतन ने SIT की जांच को उचित और निष्पक्ष बताया।
विवादों में घिरी जांच और गंभीर आरोप
DGP द्वारा दाखिल हलफनामे में दावा किया गया कि 18 मार्च को विमल नेगी के शव से बरामद पेन ड्राइव को एक एएसआई ने छिपा लिया और उसे फॉर्मेट भी कर दिया — जो कि गंभीर कदाचार की श्रेणी में आता है। उन्होंने यह भी कहा कि SIT की जांच अब तक सवालों के घेरे में रही है और शिमला के एसपी का प्रभाव उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर तक देखा जा रहा है।
विमल नेगी की मौत और परिजनों की मांग
नेगी 10 मार्च को लापता हुए थे और 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर में मिला। इसके बाद उनके परिजन 19 मार्च को शव लेकर HPPCL के शिमला कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए और सीबीआई जांच की मांग की। नेगी की पत्नी किरण नेगी ने आरोप लगाया कि उनके पति को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और बीमार होने के बावजूद देर रात तक काम करने के लिए मजबूर किया गया। इस आधार पर 20 मार्च को आत्महत्या के लिए उकसाने और सामूहिक आपराधिक साजिश की धाराओं में HPPCL के डायरेक्टर (इलेक्ट्रिकल) और मैनेजिंग डायरेक्टर के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
SIT की सफाई और महाधिवक्ता का पक्ष
महाधिवक्ता अनुप कुमार रतन ने कहा कि SIT ने निष्पक्ष तरीके से जांच की है और अब तक 14,000 से अधिक दस्तावेज उस पेन ड्राइव से फॉरेंसिक लैब के माध्यम से बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ओंकार शर्मा ने भी जांच की कि क्या नेगी पर विभागीय दबाव डाला गया था या उनके साथ अनुचित व्यवहार किया गया।
रतन ने यह भी कहा कि DGP ने यदि जांच को लेकर कोई आपत्ति थी, तो वह पहले ही AG कार्यालय को विश्वास में लेकर उचित माध्यम से यह मुद्दा उठा सकते थे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “मुख्य उद्देश्य न्याय सुनिश्चित करना है, न कि आरोप-प्रत्यारोप करना।”
कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनीं, फैसला सुरक्षित
नेगी परिवार की ओर से वकील आर.के. बावा ने कहा कि SIT की जांच निष्पक्ष नहीं है, इसलिए मामले को CBI को सौंपना आवश्यक है। “कोर्ट ने सभी पक्षों को सुना है और अतिरिक्त मुख्य सचिव की रिपोर्ट समेत सभी दस्तावेजों की जांच कर ली है,” उन्होंने कहा।
वहीं, एसपी शिमला संजीव कुमार गांधी ने बताया कि नेगी की वर्तमान पोस्टिंग में मानसिक और शारीरिक दबाव अत्यधिक था और वे 2020 से अवसाद व सामान्य चिंता से पीड़ित थे।
कोर्ट ने दलीलों और रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब निगाहें हाईकोर्ट के आगामी आदेश पर टिकी हैं कि क्या यह मामला CBI को सौंपा जाएगा।