सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम निर्णय में कहा कि इलाहाबाद के बमरौली स्थित एयर फोर्स स्कूल संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में नहीं आता है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि इस स्कूल में कार्यरत अनुबंध कर्मचारियों की सेवाएं नियमित करने का कोई संवैधानिक आधार नहीं है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने 2:1 के बहुमत से इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि यह स्कूल ‘राज्य’ नहीं है और उस पर अनुच्छेद 12 लागू नहीं होता।
बहुमत का मत: राज्य का सर्वव्यापी नियंत्रण नहीं
न्यायमूर्ति ओका, जिन्होंने न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की ओर से भी बहुमत राय लिखी, ने कहा कि भारतीय वायुसेना (IAF) मुख्यालय का स्कूल के प्रबंधन पर कोई सर्वव्यापी नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ फंड भले ही आर्मी वेलफेयर सोसाइटी से आए हों, लेकिन इससे यह नहीं कहा जा सकता कि स्कूल पर राज्य या वायुसेना का नियंत्रण है।
“यह नहीं दर्शाया गया है कि वायुसेना मुख्यालय का स्कूल के प्रबंधन पर कोई नियंत्रण है,” उन्होंने कहा। “अपीलकर्ताओं और स्कूल के बीच का संबंध एक निजी अनुबंध का विषय है… अतः याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इन्हें खारिज किया जाता है।”
अदालत ने यह भी कहा कि स्कूल जिस ‘एजुकेशन कोड’ के तहत संचालित होता है, उसका कोई वैधानिक आधार नहीं है और यह स्कूल किसी सार्वजनिक संस्था के रूप में कार्य नहीं करता।
असहमति का मत: सार्वजनिक कार्य और वायुसेना का नियंत्रण
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने बहुमत से असहमति जताते हुए कहा कि एयर फोर्स स्कूल सार्वजनिक कार्य कर रहा है — जैसे कि शिक्षा प्रदान करना — और उस पर वायुसेना का प्रमुख और व्यावहारिक नियंत्रण है।
उन्होंने कहा कि स्कूल की प्रबंधन समिति में सेवा में कार्यरत वायुसेना अधिकारी शामिल हैं, जो यह दर्शाता है कि स्कूल एक राज्य संस्था के नियंत्रण में है। “स्कूल की स्थापना मुख्य रूप से शिक्षा प्रदान करने के लिए हुई है जो एक ‘सार्वजनिक कार्य’ है… और इसके संचालन पर वायुसेना के अधिकारियों का व्यावसायिक और निर्णायक नियंत्रण है,” उन्होंने लिखा।
मामला क्या था
यह मामला दो पूर्व शिक्षकों — दिलीप कुमार पांडेय और संजय कुमार शर्मा — द्वारा दायर याचिकाओं से जुड़ा था। उन्होंने अपनी सेवा समाप्ति को चुनौती दी थी और अदालत से राहत की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि स्कूल भारतीय वायुसेना के अधीन कार्य करता है, इसलिए इसे ‘राज्य’ के रूप में माना जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता अन्य वैध कानूनी उपाय अपना सकते हैं जो निजी अनुबंध के तहत उपलब्ध हों।