सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जजों के अधिकारों की अनदेखी पर छह राज्यों को अवमानना नोटिस जारी किया

 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को छह राज्यों के मुख्य सचिवों को न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के लिए अवमानना नोटिस जारी किया। ये आदेश हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त जजों को चिकित्सकीय सुविधाएं, घरेलू सहायक, और टेलीफोन भत्ता देने से संबंधित थे। जिन राज्यों पर यह कार्रवाई की गई है वे हैं: छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने पाया कि इन राज्यों ने न्यायालय द्वारा पहले दिए गए छह प्रमुख निर्देशों का पालन नहीं किया है। इनमें शामिल हैं: सेवानिवृत्त जजों को कार्यरत जजों के समान सुविधाएं देना, राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना प्रतिपूर्ति करना, रजिस्ट्रार जनरल को स्वीकृति देने का अधिकार देना, अन्य राज्यों में इलाज की प्रतिपूर्ति, कैशलेस मेडिकल सुविधाएं, और घरेलू सहायक व टेलीफोन भत्तों से जुड़े लाभ देना।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
“जहां तक छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली का सवाल है, उन्होंने इस न्यायालय द्वारा जारी सभी निर्देशों का पालन नहीं किया है। अतः इन राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया जाए कि क्यों न उनके विरुद्ध न्यायालय की अवमानना अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की जाए।”

यह अवमानना नोटिस 25 जुलाई, 2025 को उत्तर देने के लिए लौटाने योग्य है। फिलहाल कोर्ट ने मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी है, बशर्ते कि एक जिम्मेदार आईएएस अधिकारी अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित हो।

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इस पर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा,
“एक सीधी-सी बात है कि आपको केवल आंध्र प्रदेश की तर्ज पर लाभ देने का आदेश जारी करना है, और उसमें भी महीनों लग जाते हैं।”

18 फरवरी, 2025 को कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्त जजों को मिलने वाले लाभों की प्रतिपूर्ति उस राज्य सरकार द्वारा की जाएगी, जहां उस हाईकोर्ट की पीठ स्थित है जिससे जज सेवानिवृत्त हुए हैं।

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15 अप्रैल को कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी थी कि यदि सेवानिवृत्त जजों, उनके जीवनसाथी और आश्रितों को चिकित्सकीय सुविधाएं देने के आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है।

उसी दिन, कोर्ट ने मध्य प्रदेश को कैशलेस ट्रीटमेंट में देरी पर फटकार लगाई थी। राज्य ने इसके लिए छह महीने का समय मांगा था, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर एक महीने में संशोधन का आदेश दिया।

29 अप्रैल, 2025 को कोर्ट ने अनुपालन की स्थिति की समीक्षा की थी। कोर्ट ने पाया कि आंध्र प्रदेश ने 2021 के नियमों के अनुरूप सभी निर्देशों का पालन कर लिया है। इसके बाद कोर्ट ने अन्य राज्यों को भी इन्हीं नियमों के अनुरूप लाभ देने के निर्देश दिए थे।

बिहार ने दावा किया कि वह अपने 2019 नियमों के तहत बेहतर लाभ देता है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि विकल्प न दिया जाए तो उसे आंध्र प्रदेश के नियमों के अनुसार ही लाभ देने होंगे।

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कोर्ट ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, तथा लक्षद्वीप को एक महीने की अतिरिक्त मोहलत दी है ताकि वे आदेशों का पालन कर सकें।

इससे पहले कोर्ट ने 21 मई, 2025 तक अनुपालन न करने पर कई अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी अवमानना की चेतावनी दी थी, जिनमें केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, पुडुचेरी और लद्दाख शामिल हैं।

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