राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने स्पष्ट किया है कि बीमाकर्ता द्वारा पूर्ण बीमा पॉलिसी और प्राथमिक कवरेज दस्तावेज़ों को उचित समय पर और बिना किसी ठोस कारण के न सौंपना, सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। यह निर्णय न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम एम/एस अभिषेक कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड के मामले में सुनाया गया, जिसमें बीमाकर्ता ने बीमा शर्तों की पूर्ण जानकारी दिए बिना स्टॉक की खराबी से संबंधित दावा अस्वीकार कर दिया था।
न्यायिक पीठ जिसमें सुभाष चंद्र (अध्यक्ष सदस्य) और एवीएम जे. राजेन्द्र, एवीएसएम वीएसएम (सेवानिवृत्त) शामिल थे, ने बीमाकर्ता की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य आयोग के आदेश में संशोधन किया। जहाँ राज्य आयोग ने ₹27,77,483 का भुगतान करने का निर्देश दिया था, वहीं आयोग ने बीमाकर्ता की देनदारी को बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार घटाकर ₹12,62,851 कर दिया। साथ ही, आयोग ने बीमाधारक को ₹50,000 मुकदमे की लागत के रूप में देने का निर्देश दिया।
पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में स्थित एम/एस अभिषेक कोल्ड स्टोरेज प्रा. लि. ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से ₹90 लाख की “स्टॉक्स (आलू) के खराब होने की बीमा पॉलिसी” 15.04.2008 से 14.11.2008 की अवधि के लिए ली थी। कोल्ड स्टोरेज में लगभग 1,02,000 आलू की बोरियों का भंडारण किया गया था।
10.09.2008 को चेम्बर नंबर 2 में शॉर्ट सर्किट हुआ और 19.09.2008 को आए तूफान के बाद विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई, जिससे तापमान नियंत्रित नहीं रह सका और कथित रूप से 31,609 आलू की बोरियाँ (₹27,81,592 मूल्य की) खराब हो गईं। बीमा कंपनी को दावा प्रस्तुत किया गया जिसे 27.05.2009 के पत्र द्वारा अस्वीकार कर दिया गया।
बीमाकर्ता की दलीलें
बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि:
- नुकसान अनुचित भंडारण और अनुमोदित क्षमता से अधिक स्टॉक रखने के कारण हुआ।
- बिजली आपूर्ति के उप-स्टेशन के रिकॉर्ड कोल्ड स्टोरेज के लॉगबुक से मेल नहीं खाते।
- स्टॉक की खराबी बिजली कटौती से पहले ही शुरू हो गई थी।
- पॉलिसी केवल “रेफ्रिजरेशन मशीनरी में दुर्घटना” से हुए नुकसान को कवर करती है, सामान्य विद्युत विफलता को नहीं।
- अंतिम सर्वे रिपोर्ट (दिनांक 29.01.2009) के अनुसार, बीमाकर्ता की देनदारी ₹12,62,851 आंकी गई।
शिकायतकर्ता की दलीलें
शिकायतकर्ता ने कहा कि:
- बीमा कंपनी ने निरीक्षण और सर्वेक्षण के बाद ही पॉलिसी जारी की थी।
- नुकसान बिजली की लंबी कटौती और जनरेटर की खराबी से हुआ जो कि अनियंत्रित और अचानक था।
- पॉलिसी की शर्तें दुर्घटना के बाद तक प्रदान नहीं की गईं और दावा अस्वीकार करते समय कोई कारण नहीं बताया गया।
- नुकसान को कम करने के प्रयास किए गए, फिर भी 31,609 बोरियाँ खराब हो गईं।
आयोग की टिप्पणियाँ
आयोग ने पाया कि बीमा पॉलिसी दस्तावेज़ 24.10.2008 को जारी किए गए थे जबकि दुर्घटना 10.09.2008 से 22.09.2008 के बीच हुई थी। आयोग ने कहा:
“जबकि पूर्ण प्रीमियम प्राप्त कर लिया गया था, फिर भी संपूर्ण अनुबंध विवरण समय पर न देना सेवा में कमी है।”
आयोग ने यह भी कहा:
“इससे बीमित पक्ष को जोखिम कवर की स्थिति को लेकर असमंजस में डाल दिया गया, जो स्वयं सेवा में कमी का उदाहरण है।”
हालाँकि आयोग ने यह स्पष्ट किया कि दोनों पक्ष मूल अनुबंध शर्तों से बंधे रहते हैं और केवल दस्तावेज़ों की देरी से अनुबंध अमान्य नहीं हो जाता। अतः देनदारी पॉलिसी की मूल शर्तों के अनुसार तय की जानी चाहिए।
निर्णय
प्रारंभिक एवं अंतिम सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने निष्कर्ष निकाला:
- कुल आकलित नुकसान: ₹27,77,483
- कटौतियों (अंडर-इंश्योरेंस, रॉटेज, श्रिंकज, एक्सेस आदि) के बाद देनदारी: ₹12,62,851
तदनुसार, आयोग ने राज्य आयोग के आदेश में संशोधन करते हुए बीमा कंपनी को ₹12,62,851 का भुगतान करने और ₹50,000 मुकदमे की लागत देने का निर्देश दिया। राज्य आयोग के शेष निर्देश यथावत् रखे गए।
मामले का शीर्षक: न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम एम/एस अभिषेक कोल्ड स्टोरेज प्रा. लि.
अपील संख्या: एफ.ए. नंबर 1167 ऑफ 2014