राखी की डिलीवरी न होने पर अमेज़न दोषी करार, उपभोक्ता आयोग ने ₹40,000 मुआवज़ा देने का आदेश दिया


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, मुंबई उपनगरीय ने अमेज़न और उसकी सेलर सर्विस कंपनी को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा का दोषी ठहराते हुए शिकायतकर्ता को ₹30,000 हर्जाना और ₹10,000 वाद व्यय देने का आदेश दिया है। मामला एक ऑनलाइन ऑर्डर की गई राखी की डिलीवरी न होने से संबंधित है।

पृष्ठभूमि:
शिकायतकर्ता शीतल कणकिया ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अमेज़न और M/s Amazon Seller Services Private Limited के खिलाफ शिकायत (मामला संख्या: CC/292/2019) दायर की थी। उन्होंने 2 अगस्त 2019 को अमेज़न के ऑनलाइन पोर्टल से ₹100 का भुगतान कर ‘मोटू पतलू किड्स राखी’ का ऑर्डर दिया था, जिसकी डिलीवरी 8 से 13 अगस्त के बीच होनी थी।

बार-बार अनुरोध के बावजूद न तो राखी डिलीवर की गई और न ही विक्रेता का कोई विवरण साझा किया गया। बाद में अमेज़न ने 14 अगस्त को ₹100 सीधे शिकायतकर्ता के खाते में जमा कर दिए। शिकायतकर्ता ने पाया कि पार्सल जिस ‘पूनम कूरियर’ से भेजा गया बताया गया था, वह स्थायी रूप से बंद हो चुका था और दिया गया ट्रैकिंग नंबर फर्जी था।

दलीलें:

  • शिकायतकर्ता की ओर से:
    शीतल कणकिया ने तर्क दिया कि अमेज़न ने ऑर्डर और भुगतान स्वीकार किया, इसलिए उसे उत्पाद की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करनी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अमेज़न ने न तो प्रामाणिक विक्रेता की पुष्टि की और न ही विश्वसनीय कूरियर सेवा सुनिश्चित की।
  • अमेज़न की ओर से:
    अमेज़न सेलर सर्विसेस ने जवाब में कहा कि वह केवल एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, और स्वतंत्र विक्रेता अपनी जिम्मेदारी पर उत्पाद बेचते हैं। उन्होंने स्वयं को केवल एक ‘फैसिलिटेटर’ बताया। आयोग के समक्ष कोई समय पर लिखित उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया।
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आयोग का विश्लेषण:

माननीय श्रीमती समिंदरा आर. सुरवे (अध्यक्ष) और माननीय श्री समीर एस. कांबले (सदस्य) की पीठ ने कहा:

  • शिकायतकर्ता ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986’ की धारा 2(1)(d) के अंतर्गत उपभोक्ता हैं।
  • अमेज़न ने ऑर्डर स्वीकार किया और डिलीवरी में विफल रहा। फर्जी ट्रैकिंग नंबर और बंद कूरियर सेवा के हवाले से भ्रामक जानकारी दी गई।
  • ₹100 की राशि विक्रेता को ट्रांसफर नहीं की गई थी, जिससे यह साबित हुआ कि अमेज़न ने राशि अपने पास रखी थी।
  • भले ही अमेज़न खुद को मध्यस्थ बताता है, लेकिन वह सेवा प्रदाता के रूप में उत्तरदायी है और उसके माध्यम से लेन-देन होने के कारण वह सेवा में कमी का जिम्मेदार है।
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आदेश:

  1. शिकायत आंशिक रूप से स्वीकार की गई।
  2. प्रतिवादियों को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा का दोषी ठहराया गया।
  3. प्रतिवादियों को शिकायतकर्ता को ₹30,000 मुआवज़ा और ₹10,000 वाद व्यय 60 दिनों के भीतर अदा करने का निर्देश, अन्यथा 6% वार्षिक ब्याज देना होगा।

मामले का विवरण:

  • मामला संख्या: CC/292/2019
  • शिकायतकर्ता: शीतल कणकिया
  • प्रतिवादी: अमेज़न इंडिया और अमेज़न सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
  • अदालत: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, मुंबई उपनगरीय

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