सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस. ओका ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आम नागरिकों की न्याय तक पहुंच को सरल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है—अपने अंग्रेजी में दिए गए फैसलों का प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद।
ठाणे स्थित विद्या प्रसारक मंडल के टीएमसी लॉ कॉलेज के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जस्टिस ओका ने कहा, “भाषा न्यायिक अधिकारों और उपायों को समझने में बाधा नहीं बननी चाहिए। पिछले तीन वर्षों में हजारों न्यायिक निर्णयों का विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।” उन्होंने इस पहल को न्यायपालिका की समावेशी और जनसुलभ दिशा में एक ठोस कदम बताया।
महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “पिछले 30 वर्षों से महाराष्ट्र के जिला न्यायालयों में मराठी में न्यायिक कार्य किया जा रहा है।” कॉलेज द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने इस प्रयास को न्यायपालिका और जनता के बीच की दूरी कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

जस्टिस ओका ने तकनीक की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आज उपलब्ध तकनीकी साधनों से कानून पढ़ना, शोध करना और फैसलों का अर्थ समझना बहुत आसान हो गया है। छात्रों को इन तकनीकी उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए।”
इस अवसर पर विद्या प्रसारक मंडल के अध्यक्ष डॉ. विजय बेडेकर ने मराठी भाषा में कानूनी संसाधनों के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “आम नागरिकों के लिए कानून से संबंधित सभी पुस्तकें, जानकारी और न्यायिक फैसले मराठी में उपलब्ध होना बहुत जरूरी है। छात्रों को आगे आकर इनका अनुवाद करना चाहिए और इन्हें व्यापक स्तर पर प्रसारित करना चाहिए।”
यह कार्यक्रम न्यायिक सुधार, तकनीकी प्रगति और क्षेत्रीय सशक्तिकरण का संगम बन गया—जिसने कानून के छात्रों को समावेशी न्याय के भविष्य की एक झलक प्रदान की।