दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण निकाय में खाली पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, नियुक्ति के लिए सितंबर तक की डेडलाइन तय

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) में लंबे समय से खाली पड़े महत्वपूर्ण पदों को न भरने पर कड़ी फटकार लगाई और चेतावनी दी कि यदि आगे भी देरी हुई तो यह “गंभीर अवमानना” मानी जाएगी।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि DPCC में स्वीकृत 204 पदों में से केवल 83 ही भरे गए हैं, जबकि आधे से अधिक पद खाली हैं। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “हम दिल्ली सरकार की इस लापरवाही को बर्दाश्त नहीं कर सकते, खासकर तब जब दिल्ली सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण से प्रभावित है।”

अदालत ने स्पष्ट आदेश देते हुए निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार को सभी 204 रिक्त पदों को सितंबर 2025 तक भरना होगा। सरकार को 15 अक्टूबर तक एक हलफनामा दाखिल कर अनुपालन की जानकारी देनी होगी। यदि निर्देश का पालन नहीं हुआ, तो अदालत ने अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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इसके साथ ही, अदालत ने राज्य सरकार को भविष्य की रिक्तियों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया कम से कम छह महीने पहले शुरू करने का निर्देश भी दिया। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने नियुक्तियों के लिए वर्ष के अंत तक का समय मांगा, लेकिन पीठ ने इसे ठुकरा दिया और यह पूछते हुए आपत्ति जताई कि राज्य द्वारा दाखिल हलफनामे में नियुक्ति प्रक्रिया और विज्ञापन के लिए कोई समयरेखा क्यों नहीं दी गई।

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पीठ ने कहा, “यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।” अदालत ने यह भी याद दिलाया कि इस महीने की शुरुआत में उसने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी किए थे क्योंकि इन राज्यों ने अदालत के अगस्त 2024 के आदेश का पालन नहीं किया था, जिसमें 30 अप्रैल 2025 तक सभी प्रदूषण नियंत्रण निकायों में नियुक्तियां पूरी करने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि DPCC के 55% पद रिक्त हैं, जिससे यह सांविधिक निकाय “लगभग निष्क्रिय” हो गया है। अदालत ने यह भी बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) में भी 21% पद खाली हैं और उन्हें अगस्त 2025 तक भरने का निर्देश दिया गया।

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इसके अतिरिक्त, अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया कि वह राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों के मौजूदा कार्यप्रणाली, तकनीक और उपकरणों का अध्ययन करे। आयोग को अपनी सिफारिशें जुलाई 2025 के अंत तक सौंपनी होंगी, जिन्हें CPCB और दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण निकायों द्वारा लागू किया जाएगा।

अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने CAQM में भी स्टाफ की कमी को लेकर चिंता जताई और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि अगस्त 2025 तक वहां के सभी रिक्त पद भी भरे जाएं।

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यह मामला अदालत की निगरानी में जारी रहेगा, और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया है कि यदि पर्यावरणीय शासन लागू करने में कोई और लापरवाही हुई, तो संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

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