आरोप तय करते समय जज द्वारा अपने नाम में त्रुटि को नज़रअंदाज़ करना विवेक के अभाव को दर्शाता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक आपराधिक मामले में आरोप तय करने के आदेश को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम) द्वारा पारित आदेश में न्यायिक अधिकारी का नाम गलत दर्शाया गया था। न्यायालय ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए कहा कि ऐसे मामलों में न्यूनतम सावधानी की अपेक्षा की जाती है।

यह निर्णय न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने दिनांक 14 मई 2025 को पारित किया। अपील अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 14A(1) के तहत दाखिल की गई थी, जिसमें 24 फरवरी 2025 को विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम), लखनऊ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। उस आदेश में भारतीय दंड संहिता की धारा 493, 504, 506 तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r) और 3(1)(s) के अंतर्गत आरोप तय किए गए थे।

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पृष्ठभूमि

अपीलकर्ता नृपेन्द्र पांडे @ निहाल पांडे के विरुद्ध आरोप था कि उन्होंने विवाह का झूठा आश्वासन देकर सहवास किया (धारा 493), अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया (धारा 504), धमकी दी (धारा 506) और जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया (एससी/एसटी अधिनियम की धाराएं 3(1)(r) व 3(1)(s))।

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विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में उल्लेख किया गया था कि उक्त आदेश “श्री दिनेश कुमार मिश्र, विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम)” द्वारा पारित किया गया, लेकिन उस पर हस्ताक्षर “श्री विवेकानंद शरण त्रिपाठी, विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम)” के थे।

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हाईकोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड की त्रुटि है और प्रथम दृष्टया ही हस्तक्षेप योग्य है। उन्होंने कहा:

“यह अपेक्षित नहीं है कि विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम), जो गंभीर अपराधों में आरोप तय कर रहे हैं, वे अपने ही नाम में ऐसी मूलभूत गलती करें।”

न्यायालय ने यह भी कहा कि यह आदेश बिना विचार किए पारित किया गया प्रतीत होता है और इससे गंभीर लापरवाही का संकेत मिलता है।

निर्णय

हाईकोर्ट ने दिनांक 24 फरवरी 2025 का आदेश रद्द करते हुए कहा कि:

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“प्रकरण विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम), लखनऊ को यह निर्देश देते हुए वापस भेजा जाता है कि वे मामले में कानून के अनुसार यथाशीघ्र नया आदेश पारित करें।”

यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर द्वारा 14 मई 2025 को पारित किया गया।

प्रकरण विवरण:
प्रकरण संख्या: आपराधिक अपील संख्या 1475/2025
अपीलकर्ता: नृपेन्द्र पांडे @ निहाल पांडे
प्रतिवादी: उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य

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