उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को लोक निर्माण विभाग (PWD) के सहायक अभियंता रिज़वान खान की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने खटीमा से टिहरी ज़िले के घनसाली डिवीजन में हालिया तबादले को चुनौती दी है। रिज़वान, 73 वर्षीय मोहम्मद उस्मान के बेटे हैं, जिन पर पिछले महीने नैनीताल में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार का आरोप है — जिससे शहर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था।
मुख्य न्यायाधीश गुहनाथन नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक नेहरा की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की, जो 30 अप्रैल की घटना के बाद प्रशासनिक कार्रवाइयों की श्रृंखला का हिस्सा है। घटना के बाद फैले जन आक्रोश के चलते तोड़फोड़ और तनाव की स्थिति बनी, जिसे नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कई अधिकारियों के तबादले किए।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने दलील दी कि यह तबादला दंडात्मक है और इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है। “मेरे मुवक्किल को न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही तबादले के आदेश में कोई स्पष्ट कारण बताया गया। यह आदेश जनता के आक्रोश की प्रतिक्रिया स्वरूप दिया गया है, जो उसके पिता के कृत्य से जुड़ा है,” गुप्ता ने कहा।

गुप्ता ने यह भी बताया कि कुछ हिंदू संगठनों ने यह तबादला आदेश सोशल मीडिया पर पहले ही साझा कर दिया था, जबकि खान को इसकी आधिकारिक सूचना बाद में मिली। उन्होंने इसे “अनुचित” और “अनावश्यक” बताते हुए आरोप लगाया कि इसे प्रशासनिक कारणों का बहाना बनाकर लागू किया गया।
वहीं, महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह तबादला नियमानुसार किया गया है।
कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को मामले की जांच कर सोमवार तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
महत्वपूर्ण रूप से, पीठ ने इस मामले से जुड़े न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं की सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग पर भी सख्त टिप्पणी की। “यह अत्यंत आपत्तिजनक है कि न्यायाधीशों और वकीलों को ट्रोल किया जा रहा है और कोई कार्रवाई नहीं हो रही,” अदालत ने कहा, जिससे यह संकेत मिला कि संवेदनशील मामलों में डिजिटल दुरुपयोग एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई एसएसपी की रिपोर्ट मिलने के बाद अगले सप्ताह की शुरुआत में की जाएगी।