वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की 30,000 करोड़ रुपये के AGR बकाया माफ करने की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वोडाफोन आइडिया लिमिटेड द्वारा दायर एक नई याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी, जिसमें समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया के ब्याज, जुर्माना और ब्याज पर जुर्माने के मद में लगभग 30,000 करोड़ रुपये की छूट मांगी गई है।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों पर संज्ञान लिया, जो कंपनी की ओर से पेश हुए। रोहतगी ने तर्क दिया कि कंपनी की वित्तीय स्थिति और भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के महत्व को देखते हुए मामले की तुरंत सुनवाई आवश्यक है। यह मामला संभवतः 19 नवंबर को सूचीबद्ध किया जाएगा।

रोहतगी ने अदालत को अवगत कराया कि हाल ही में ब्याज देनदारी के इक्विटी में रूपांतरण के बाद केंद्र सरकार वोडाफोन आइडिया में 49% हिस्सेदारी की मालिक बन गई है।

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सर्वोच्च न्यायालय पूर्व में इसी प्रकार की याचिकाओं को खारिज कर चुका है। 28 जनवरी, 2024 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका एवं संजय कुमार की पीठ ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें AGR बकाया की गणना में कथित त्रुटियों और दोहराव को सुधारने की मांग की गई थी।

READ ALSO  हाई कोर्ट ने 100 रुपये से अधिक के करेंसी नोटों को वापस लेने, 10 हजार रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया

इससे पहले, 23 जुलाई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें बकाया राशि की गणना में कथित अंकगणितीय त्रुटियों और प्रविष्टियों की पुनरावृत्ति को सही करने का अनुरोध किया गया था। कंपनियों का तर्क था कि इन त्रुटियों के कारण बकाया राशि में अनावश्यक वृद्धि हुई।

सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आदेश दिया था कि दूरसंचार ऑपरेटरों को 10 वर्षों की अवधि में AGR से संबंधित 93,520 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। अदालत ने निर्देश दिया था कि कुल बकाया राशि का 10% हिस्सा 31 मार्च 2021 तक और शेष राशि 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2031 तक समान वार्षिक किस्तों में अदा किया जाए।

READ ALSO  Supreme Court Denies Termination of Over 27-Week Pregnancy, Cites Foetus's Fundamental Right to Live

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा तय की गई बकाया राशि अंतिम और बाध्यकारी होगी, और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए आगे किसी विवाद या पुनर्मूल्यांकन की कोई संभावना नहीं होगी।

AGR मामले की शुरुआत अक्टूबर 2019 के ऐतिहासिक फैसले से हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने AGR की परिभाषा को स्पष्ट किया और DoT की मांगों को सही ठहराया। इसके बाद सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को 20 वर्षों में भुगतान करने की अनुमति देने की याचिका दायर की थी, जिसे बाद में अदालत ने संशोधित कर दिया था।

READ ALSO  राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में सुनवाई टली, अब 8 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles