सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर की धनराशि से कॉरिडोर निर्माण के लिए ज़मीन खरीदने की अनुमति दे दी है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि इस धनराशि से मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि खरीदी जा सकती है, लेकिन अधिग्रहीत भूमि का पंजीकरण मंदिर के देवता श्री ठाकुर बांके बिहारी जी के नाम पर ही किया जाएगा।
अदालत ने यह अनुमति राज्य सरकार की 500 करोड़ रुपये की कॉरिडोर विकास योजना को ध्यान में रखते हुए दी है, जिसके लिए मंदिर ट्रस्ट की सावधि जमा (FD) का उपयोग किया जा सकेगा।
हाईकोर्ट ने पहले कर दी थी सरकार की याचिका खारिज
इससे पहले 20 नवंबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर फंड के उपयोग की अनुमति देने से इनकार करते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि कॉरिडोर निर्माण की अनुमति है, लेकिन इसके लिए सरकार मंदिर के फंड का उपयोग न करे और अपने खर्चे से निर्माण कराए।
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार का तर्क था कि यदि सरकार अपने खर्च से भूमि खरीदेगी और निर्माण कराएगी, तो उस पर स्वाभाविक रूप से सरकार का ही स्वामित्व होगा। लेकिन चूंकि कॉरिडोर को मंदिर से जोड़कर मंदिर समिति द्वारा संचालित करना प्रस्तावित है, इसलिए जरूरी है कि इसकी निधि भी मंदिर से ही ली जाए, जिससे धार्मिक अधिकार मंदिर प्रबंधन के पास ही रहे।
कॉरिडोर की विशेषताएं और निर्माण योजना
श्री ठाकुर बांके बिहारी जी का प्रस्तावित कॉरिडोर पांच एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जाएगा और इसका डिज़ाइन वाराणसी के काशी कॉरिडोर की तर्ज पर तैयार किया गया है। कॉरिडोर प्रांगण में राधा-गोपाल, राधा-बिहारी और केशव-जू के मंदिरों के दर्शन भी श्रद्धालुओं को कराए जाएंगे।
इसके अलावा, विशाल प्रतीक्षालय, सामान व जूता रखने की व्यवस्था, पेयजल, चिकित्सा सुविधा और शिशु देखभाल केंद्र जैसे सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
- कॉरिडोर का ऊपरी हिस्सा: 10,600 वर्ग मीटर
- निचला हिस्सा: 11,300 वर्ग मीटर
निर्माण कार्य पूर्ण होने पर लगभग 10,000 श्रद्धालु एक साथ दर्शन कर सकेंगे।
भूमि अधिग्रहण योजना
इस परियोजना के लिए 276 से अधिक भवनों का अधिग्रहण किया जाएगा, जिनमें 149 आवासीय, 66 व्यवसायिक और 57 मिश्रित उपयोग के भवन शामिल हैं। परियोजना के तहत श्री बांके बिहारी मंदिर के परिक्रमा मार्ग को भी नया स्वरूप देने की योजना है।