इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की दिल्ली स्थित प्रधान पीठ द्वारा उन याचिकाओं की प्रत्यक्ष सुनवाई किए जाने पर गंभीर रुख अपनाया है, जो इलाहाबाद स्थित CAT पीठ के क्षेत्राधिकार में आती हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने राजेश प्रताप सिंह द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रधान पीठ के अध्यक्ष ने प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 की धारा 25 के अंतर्गत स्थानांतरण की शक्ति का गलत व्याख्या करते हुए उन याचिकाओं की प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू कर दी है, जो वास्तव में इलाहाबाद पीठ के क्षेत्राधिकार में आती हैं।
न्यायालय ने कहा, “यह स्थिति ऐसा प्रतीत होती है मानो कोई पीठ नियमित रूप से धारा 25 के तहत शक्ति का प्रयोग कर क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र अर्जित कर रही हो, जबकि विधायिका ने स्पष्ट रूप से प्रत्येक पीठ के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र निर्धारित किया है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह न तो इस धारा का उद्देश्य था और न ही विधायिका की मंशा थी कि मात्र दूरी के आधार पर प्रधान पीठ प्रत्यक्ष रूप से नए मामले सुन सके।
कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य प्रतिवादियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 17 जुलाई 2025 तय की है।
कोर्ट ने कहा, “चूंकि याचिकाएं केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ, दिल्ली द्वारा सुनी जा रही हैं, इसके कारण अधिवक्ताओं ने इलाहाबाद में कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। उनका आरोप है कि प्रधान पीठ नई दिल्ली निकटता के आधार पर सीधे याचिकाओं की सुनवाई कर रही है, जिससे इलाहाबाद पीठ के अधिकार क्षेत्र को प्रभावित किया जा रहा है।”
न्यायालय ने यह भी कहा, “यदि केवल दूरी के आधार पर मामलों को प्रधान पीठ में सुना जाने लगे, तो देशभर की अन्य पीठों की भूमिका ही समाप्त हो जाएगी, जो कि अधिनियम की मूल भावना के विरुद्ध है।”