उत्तर प्रदेश पुलिस के डीएसपी रैंक के अधिकारी मोहम्मद मोहसिन खान को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ राज्य सरकार द्वारा जारी निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश उस आरोप के आधार पर जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि वे वैवाहिक जीवन में रहते हुए भी एक अन्य महिला के साथ अवैध संबंध में थे।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता मोहम्मद मोहसिन खान ने राज्य सरकार द्वारा 06.03.2025 को अपर पुलिस महानिदेशक की संस्तुति के आधार पर जारी किए गए निलंबन आदेश को चुनौती दी थी। यह निलंबन इस आधार पर किया गया था कि याचिकाकर्ता, जबकि उनका वैवाहिक संबंध पूर्व से ही अस्तित्व में था, एक अन्य महिला के साथ शारीरिक संबंध में थे।
उक्त मामले में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 69 के तहत एफआईआर संख्या 570/2024 भी दर्ज की गई थी। इस एफआईआर को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने क्रिमिनल मिस. रिट याचिका संख्या 23395/2024 दायर की थी, जिसमें हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 19.12.2024 को चार्जशीट दाखिल करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ता की दलीलें
वरिष्ठ अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा तथा अधिवक्ता प्रफुल्ल तिवारी ने याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत होते हुए तर्क दिया कि निलंबन आदेश (परिशिष्ट संख्या-1) केवल पुलिस की संस्तुति के आधार पर यंत्रवत् तरीके से पारित किया गया है, राज्य सरकार द्वारा कोई स्वतंत्र सोच या विचार नहीं किया गया।

यह भी तर्क दिया गया कि उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956 के नियम 29(1) के अनुसार, किसी सरकारी सेवक का आचरण तभी दंडनीय माना जा सकता है जब वह वैध विवाह के रहते दूसरा विवाह कर ले। याचिकाकर्ता ने कोई दूसरा विवाह नहीं किया है, अतः उन पर लगाया गया आरोप इस नियम के अंतर्गत “दुराचरण” की श्रेणी में नहीं आता।
इसके अतिरिक्त, यह भी कहा गया कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा किसी स्वतंत्र संतुष्टि को रिकॉर्ड नहीं किया गया है और लगाए गए आरोप इतने गंभीर नहीं हैं कि उस पर बड़ी सजा दी जाए।
कोर्ट का अवलोकन और आदेश
न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार ने अभिलेखों और प्रासंगिक नियमों का परीक्षण करते हुए वी.एन. दैपुरिया बनाम राज्य सरकार (27.10.2015) और शाहजहां खान बनाम राज्य सरकार [2002 SCC OnLine All 46] के निर्णयों का संदर्भ लिया। कोर्ट ने कहा:
“सिर्फ किसी विवाहित व्यक्ति द्वारा किसी अन्य महिला के साथ संबंध बनाए रखना अपने आप में दुराचरण की श्रेणी में नहीं आता।”
इस आधार पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है तथा याचिकाकर्ता को उसके दो सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर दायर करने की अनुमति दी है। अगली सुनवाई की तारीख 28.07.2025 तय की गई है।
मामले का विवरण:
शीर्षक: मोहम्मद मोहसिन खान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, प्रमुख सचिव, गृह विभाग, लखनऊ एवं अन्य
मामला संख्या: रिट – ए संख्या 5129 / 2025
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता: श्री एल.पी. मिश्रा, श्री प्रफुल्ल तिवारी
प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता: मुख्य स्थायी अधिवक्ता (C.S.C.)