मद्रास हाईकोर्ट ने धोनी की ₹100 करोड़ मानहानि याचिका में इंटरोगेटरीज़ की अनुमति देने के आदेश की समीक्षा याचिका खारिज की

मद्रास हाईकोर्ट ने न्यूज नेशन चैनल की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को ₹100 करोड़ की मानहानि मामले में चैनल से औपचारिक इंटरोगेटरी (लिखित प्रश्नावली) पूछने की अनुमति देने वाले पूर्व आदेश की समीक्षा करने की मांग की गई थी। धोनी ने 2014 में न्यूज नेशन, ज़ी मीडिया और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी संपत कुमार के खिलाफ यह दावा दायर किया था, जिसमें 2013 के इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) स्पॉट फिक्सिंग विवाद में उन्हें कथित रूप से जोड़ने का आरोप लगाया गया था।

न्यायमूर्ति ए.ए. नक्कीरन ने 9 मई को न्यूज नेशन की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चैनल द्वारा दी गई दलीलें समीक्षा के लिए आवश्यक कानूनी मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं। चैनल का कहना था कि उसके पूर्व वकील ने बिना अपने मुवक्किल से परामर्श किए ही इंटरोगेटरीज़ के लिए अनापत्ति दर्ज कर दी थी।

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धोनी ने पहले दलील दी थी कि न्यूज नेशन की लिखित प्रतिक्रिया बहुत सामान्य थी और उसमें आवश्यक स्पष्ट उत्तर नहीं दिए गए, जिसके चलते उन्होंने कोर्ट से 17 सवालों की इंटरोगेटरी सूची जारी करने की अनुमति मांगी थी। वर्ष 2022 में एकल पीठ ने पहले ही ज़ी मीडिया के खिलाफ इंटरोगेटरीज़ की अनुमति दे दी थी। जुलाई 2024 में एक अन्य पीठ ने न्यूज नेशन के खिलाफ भी ऐसी ही अनुमति दी, जब उनके वकील ने “कोई आपत्ति नहीं” दर्ज की थी।

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धोनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीआर रमन ने न्यूज नेशन की समीक्षा याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि पूर्व आदेश में कोई गंभीर त्रुटि नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि ज़ी मीडिया की इसी मुद्दे पर दायर अपील पहले ही न्यायमूर्ति आर. महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की खंडपीठ द्वारा खारिज की जा चुकी है और धोनी को इंटरोगेटरी प्रश्न पूछने का अधिकार बरकरार रखा गया है।

अपने निर्णय में न्यायमूर्ति नक्कीरन ने स्पष्ट किया कि इंटरोगेटरीज़ केवल तब ही खारिज की जा सकती हैं जब वे अनुचित, दमनकारी, अनावश्यक या अपमानजनक हों, जो इस मामले में लागू नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “आवेदक के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पूर्व वकील ने बिना मुवक्किल के निर्देश के प्रस्तुतियां दीं, लेकिन यह समीक्षा याचिका के लिए कोई वैध आधार नहीं है।”

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इस मामले में पूर्व में हाईकोर्ट ने ज़ी मीडिया, संपत कुमार और अन्य को धोनी के खिलाफ मानहानिपूर्ण बयान देने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश भी दिया था। बाद में धोनी ने संपत कुमार के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपनी लिखित दलीलों में और भी मानहानिपूर्ण बयान दिए। हाईकोर्ट ने संपत कुमार को अदालत की अवमानना के लिए 15 दिन की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया।

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