राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान झील (संरक्षण और विकास) प्राधिकरण अधिनियम, 2015 के तहत जिलावार झीलों का सर्वेक्षण कराने के अपने निर्देशों का पालन न करने पर दो वरिष्ठ नौकरशाहों पर ₹50,000-₹50,000 का जुर्माना लगाया है।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति चंद्र शेखर शर्मा की खंडपीठ ने 2016 से लंबित स्वतः संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य अधिकारियों द्वारा की गई “लगातार अवहेलना” और “अधूरी हलफनामा रिपोर्ट” पर कड़ी नाराजगी जताई।
18 नवंबर, 2024 के पिछले आदेश में अदालत ने सभी जिलों में झीलों का सर्वेक्षण तीन महीने में पूरा करने का सख्त निर्देश दिया था। उस समय केवल 9 झीलों को अधिसूचित किया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया था, “सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी करने की दिशा में प्रयास किए जाएं और तीन महीने की अवधि में इसे पूरा किया जाए।”
अदालत ने यह भी नोट किया कि राज्य स्तरीय समिति ने जिला अधिकारियों के साथ कई बैठकें की थीं और सर्वेक्षणों को पूरा करने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता मांगी थी। इसके लिए चरणबद्ध रूप से धनराशि जारी करने के आदेश भी दिए गए थे।
इसके बावजूद न तो अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की गई और न ही समय विस्तार के लिए कोई अर्जी दी गई। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “यह राज्य के अधिकारियों को ज्ञात होना चाहिए कि अदालत के आदेशों का निर्धारित समय में पालन किया जाना अनिवार्य है। आदेशों की अवहेलना को गंभीरता से लिया जाएगा, विशेषकर जब मामला जनहित से जुड़ा हो।”
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि नवंबर 2024 के आदेश से पहले ही सर्वेक्षण शुरू हो चुका था और बैठकें भी हुई थीं, फिर भी संतोषजनक प्रगति नहीं हुई। “अवहेलना का कोई औचित्य नहीं है,” खंडपीठ ने कहा।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सर्वेक्षण अभी भी जारी है, जिसे अदालत ने असंतोषजनक करार दिया। परिणामस्वरूप, दोनों अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे दो सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (प्रशासन) के पास जुर्माना जमा करें। यह राशि जोधपुर स्थित सरकारी दृष्टिहीन विद्यालय, माता का थान, और जयपुर स्थित सरकारी दृष्टिहीन विद्यालय में बराबर वितरित की जाएगी।
मामले की अगली सुनवाई 23 मई, 2025 को निर्धारित की गई है।