बॉम्बे हाईकोर्ट ने एसआरके प्रोडक्शन हाउस की कर्मचारी के परिवार को 62 लाख रुपये का मुआवजा मंजूर किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शाहरुख खान के प्रोडक्शन हाउस रेड चिलीज एंटरटेनमेंट से जुड़ी एनिमेटर चारु खंडाल के परिवार को मोटर वाहन दुर्घटना में हुई मौत के बाद दिए गए 62 लाख रुपये के मुआवजे को बरकरार रखा है। न्यायालय ने कहा कि भले ही पूर्ण मुआवजा असंभव है, लेकिन न्यायसंगत मुआवजा देने का सिद्धांत सर्वोपरि होना चाहिए।

न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्राइब्यूनल (MACT) के नवंबर 2020 के आदेश को चुनौती दी गई थी। ट्राइब्यूनल ने खंडाल के परिवार को यह मुआवजा देने का आदेश दिया था।

खंडाल, जिन्होंने शाहरुख खान की फिल्म ‘रा.वन’ के लिए विजुअल इफेक्ट्स पर काम किया था, मार्च 2012 में उपनगर ओशिवारा के पास एक ऑटोरिक्शा में यात्रा करते समय तेज रफ्तार कार की टक्कर में गर्दन से नीचे लकवाग्रस्त हो गई थीं। वह अपनी टीम की पुरस्कार जीत का जश्न मना कर लौट रही थीं। लगभग पांच वर्षों तक गंभीर क्वाड्रिप्लेजिया की स्थिति में रहने के बाद 2017 में 28 वर्ष की आयु में सेप्टीसीमिया से उनकी मृत्यु हो गई।

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बीमा कंपनी ने यह दलील दी थी कि दुर्घटना और मौत के बीच प्रत्यक्ष संबंध नहीं है क्योंकि खंडाल की मृत्यु कई वर्ष बाद हुई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि सेप्टीसीमिया उनके क्वाड्रिप्लेजिया का प्रत्यक्ष परिणाम था, जो दुर्घटना का ही नतीजा था।

अदालत ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम एक “कल्याणकारी कानून” है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण जीवन के मौलिक अधिकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा, “पूर्ण मुआवजा मिलना मुश्किल है, लेकिन न्यायोचित मुआवजा देना ही मानक होना चाहिए।”

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न्यायालय ने खंडाल के परिवार द्वारा इलाज में खर्च किए गए 18 लाख रुपये, जिसमें फिजियोथेरेपी और पूर्णकालिक सहायक की व्यवस्था शामिल थी, को भी मान्यता दी। अदालत ने बीमा कंपनी द्वारा खर्चों पर तकनीकी आपत्ति जताने के प्रयास को भी खारिज कर दिया। अदालत ने कहा, “ऐसे जीवन-मृत्यु के मामलों में यदि हम हर मेडिकल बिल का गणितीय सटीकता से मूल्यांकन करने लगें तो यह अत्यंत कठोर और अव्यावहारिक रवैया होगा।”

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अदालत ने इस मामले को “एक युवा, महत्वाकांक्षी और पेशेवर महिला की अत्यंत मार्मिक और दुखद कहानी” बताया और कहा कि खंडाल को जो यातना झेलनी पड़ी, वह उसकी हकदार नहीं थी।

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