भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा 9 मई को घोषित ‘नो वर्क डे’ को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने शुक्रवार को तीखी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब देश की सुरक्षा के लिए हमारी सेनाएं मोर्चे पर डटी हैं, उस समय न्यायिक कार्य रोकना उचित नहीं है।
बार एसोसिएशन ने गुरुवार देर रात यह घोषणा की थी कि “युद्ध जैसे हालात” को देखते हुए शुक्रवार को न्यायिक कार्य नहीं होगा और अदालत से आग्रह किया था कि वह किसी भी मामले में प्रतिकूल आदेश पारित न करे। इसके परिणामस्वरूप, वकीलों की अनुपस्थिति के कारण अधिकतर मामलों की सुनवाई टालनी पड़ी।
पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवाई के दौरान, जब पंजाब सरकार की ओर से पेश एक वकील ने सीनियर काउंसल की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए स्थगन मांगा, तो मुख्य न्यायाधीश नागू ने टिप्पणी की:

“‘नो वर्क कॉल’ कुछ हद तक दुर्भाग्यपूर्ण रही। मैंने आपके अध्यक्ष से भी कहा कि जब फोर्सेस युद्ध लड़ रही हैं, तब आप लोग घर बैठकर आराम करेंगे? यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
मुख्य न्यायाधीश ने संकट की घड़ी में संस्थागत कार्यप्रणाली की निरंतरता पर भी जोर दिया और कहा:
“हमें भी काम करना होगा… अन्यथा देश की पूरी प्रणाली रुक जाएगी।”
इस पर जवाब देते हुए वकील ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल ने भी कार्य स्थगन का समर्थन किया है और सुबह लगभग 11 बजे पंचकूला में एयर रेड साइरन बजने के कारण आवागमन पर कुछ प्रतिबंध भी लगे थे।
मुख्य न्यायाधीश नागू ने यह स्पष्ट किया कि अदालतें अब तकनीकी रूप से सक्षम हैं और दूरस्थ रूप से भी कार्य कर सकती हैं:
“हमारे पास प्लेटफॉर्म है। हर कोई घर बैठे जुड़ सकता है।”
जल विवाद से जुड़े मामले की गंभीरता को देखते हुए पीठ ने इसे दोपहर 4 बजे फिर से सूचीबद्ध किया। यह मामला मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ के समक्ष विचाराधीन है।