सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से जुड़े हाई-प्रोफाइल ‘नौकरी के बदले पैसे’ घोटाले में सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्रदान करने पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह निर्देश उस समय दिया जब वह चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने टिप्पणी की कि सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं होने से मुकदमे की कार्यवाही में देरी हो रही है।
चटर्जी की ओर से अधिवक्ता एम एस खान ने दलील दी कि जहां खुद चटर्जी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मिल चुकी है, वहीं अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ अब तक स्वीकृति नहीं मिली है, जिससे ट्रायल को अलग-अलग चलाना असंभव हो गया है। खान ने चटर्जी की गिरती सेहत का हवाला देते हुए कहा कि वह ठीक से चल भी नहीं पा रहे हैं।
वहीं, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने जमानत याचिका का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, और इसी में देरी के चलते मुकदमा अटका हुआ है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि चटर्जी की याचिका को जुलाई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध सह-आरोपी की याचिका के साथ जोड़ा जाए, क्योंकि दोनों ही एक ही हाईकोर्ट आदेश से संबंधित हैं।
राजू ने चटर्जी की स्वास्थ्य स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने जानबूझकर अनुकूल मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाए हैं ताकि अदालत को गुमराह किया जा सके।
पीठ ने आदेश में कहा, “मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता के सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले। हम जानते हैं कि न राज्य सरकार और न ही आरोपी इस समय हमारे समक्ष हैं, इसलिए हम मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं दे रहे हैं।”
न्यायालय ने उच्च न्यायालयों द्वारा जमानत मामलों में दिए जा रहे अत्यधिक लंबे और परस्पर विरोधी आदेशों पर भी चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने एस वी राजू से कहा, “राजू साहब, यह क्या हो रहा है? हाईकोर्ट्स जमानत मामलों में बहुत लंबी और विरोधाभासी टिप्पणियां दे रहे हैं।”
यह विवाद जून 2022 में उस समय शुरू हुआ जब टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट में असफल रहे कई अभ्यर्थियों ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर 9 जून 2022 को सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की और 24 जून को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच शुरू की।
22 जुलाई 2022 को चटर्जी के परिसरों में छापों के दौरान उनके सहयोगियों की 12 संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज और ग्रुप डी कर्मियों की नियुक्ति से संबंधित फाइलें मिलीं। वहीं एक करीबी सहयोगी के घर से ₹21.9 करोड़ नकद और ₹76 लाख से अधिक मूल्य के सोने के गहने बरामद हुए।
चटर्जी की जमानत याचिका पहले 3 अगस्त 2023 को ट्रायल कोर्ट और 30 अप्रैल 2025 को कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है। अब सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका इस आधार पर दायर की गई है कि सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लंबित होने के कारण ट्रायल में देरी हो रही है, और उनकी स्वास्थ्य स्थिति भी गंभीर बनी हुई है।