पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सार्वजनिक सूचना जारी कर हाईकोर्ट तथा पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी जिला न्यायालयों में अदालत की कार्यवाही की किसी भी प्रकार की अनधिकृत रिकॉर्डिंग पर सख्त चेतावनी दी है।
रजिस्ट्रार जनरल द्वारा बुधवार को जारी इस नोटिस में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था यदि कोर्ट की कार्यवाही को रिकॉर्ड करता हुआ पाया गया, तो संबंधित अदालत द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए जा सकते हैं और उस व्यक्ति/संस्था के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही भी की जा सकती है।
“पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट तथा राज्य पंजाब, हरियाणा और संघ शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के जिला न्यायालयों में किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा कोर्ट कार्यवाही की रिकॉर्डिंग प्रतिबंधित है,” सार्वजनिक सूचना में कहा गया।

“यदि कोई व्यक्ति/संस्था इन आदेशों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो संबंधित अदालत द्वारा रिकॉर्डिंग में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को जब्त करने और उस व्यक्ति/संस्था के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही करने जैसे उचित कदम उठाए जा सकते हैं,” रजिस्ट्रार जनरल ने चेताया।
यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली अदालती कार्यवाहियों की रिकॉर्डिंग और उसे सार्वजनिक करने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की गोपनीयता और मर्यादा पर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि देश के कई अन्य हाईकोर्ट्स ने भी इसी प्रकार के नियम लागू किए हैं। उदाहरण के तौर पर, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आधिकारिक पोर्टल पर स्पष्ट किया है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की किसी भी प्रकार की अनधिकृत रिकॉर्डिंग/प्रयोग भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, एवं अवमानना कानून के अंतर्गत दंडनीय अपराध माना जाएगा।
यह कदम न्यायालयों की गरिमा बनाए रखने और डिजिटल अदालत व्यवस्था में अनुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।