विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स को स्टाइपेंड न देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज और NMC से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल के एक मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स को स्टाइपेंड न देने के आरोप पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission – NMC) और कॉलेज से जवाब तलब किया है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने एमबीबीएस छात्र आकाश उदयकुमार और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, भोपाल को नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि इन छात्रों को भारतीय छात्रों के समान ड्यूटी घंटे देने के बावजूद कोई स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा है।

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तन्वी दुबे ने दलील दी कि विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स से भारत लौटने के बाद अनिवार्य इंटर्नशिप करवाई जाती है, लेकिन उन्हें बिना किसी कारण के मूलभूत स्टाइपेंड से वंचित रखा गया है। यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

“इन छात्रों पर पहले से ही शिक्षा ऋण का बोझ है और वे इंटर्नशिप के दौरान दैनिक खर्च भी स्वयं उठाते हैं। इनमें से कई छात्र उस राज्य के नहीं होते जहां वे इंटर्नशिप कर रहे हैं। स्टाइपेंड न मिलना उनके लिए बेहद निराशाजनक है,” दुबे ने कहा।

याचिका में कहा गया है कि देशभर के अन्य मेडिकल इंटर्न्स को अनिवार्य स्टाइपेंड दिया जा रहा है, ऐसे में केवल विदेशी ग्रेजुएट्स को इससे वंचित करना अनुचित, मनमाना और अन्यायपूर्ण है।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कॉलेज और NMC से जवाब मांगा है और सुनवाई जुलाई में तय की है।

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