सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान सरकारों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि आदेशों का पालन नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान की पीठ ने राज्यों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत आदेश जारी करने को कहा, जिससे एनसीआर क्षेत्रों में पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और ऑनलाइन डिलीवरी पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।
कोर्ट ने कहा, “इस अदालत के आदेशों के साथ-साथ अधिनियम की धारा 5 के तहत जारी निर्देशों का कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पूरी सख्ती से पालन होना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकारें प्रतिबंध को लागू करने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाएं और जनता को इस प्रतिबंध तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत निर्धारित दंड के बारे में व्यापक प्रचार करें।
कोर्ट ने सभी एनसीआर राज्यों को अपने-अपने अनुपालन की विस्तृत शपथ-पत्र दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
इससे पहले 3 अप्रैल को भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगे प्रतिबंध में ढील देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बना हुआ है और “हर कोई अपने घर या दफ्तर में एयर प्यूरीफायर नहीं लगा सकता।”
पीठ ने यह भी कहा कि केवल दिवाली के आसपास प्रतिबंध लगाने से कोई असर नहीं होगा क्योंकि लोग पहले से ही पटाखे खरीदकर जमा कर लेते हैं।
दिल्ली सरकार ने पहले से ही पूरे साल पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और ऑनलाइन डिलीवरी पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर रखा है। राजस्थान ने भी एनसीआर क्षेत्र में ऐसा ही प्रतिबंध लागू किया है। कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंध की प्रभावशीलता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब एनसीआर में शामिल अन्य राज्य भी समान प्रतिबंध लागू करें।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरणविद् एम.सी. मेहता द्वारा 1985 में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए थे।
दिसंबर 2024 में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों को “अगले आदेश तक” पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया था। लेकिन कोर्ट ने यह चिंता जताई कि उसके आदेशों का पालन “कठोरता से नहीं किया गया”।
कोर्ट ने अब स्पष्ट कर दिया है कि यदि पटाखों पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया, तो लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त अवमानना कार्रवाई की जाएगी।