बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को देश में गोद लेने की प्रक्रिया में हो रही अत्यधिक देरी और लंबी प्रतीक्षा अवधि को लेकर स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) लिया और इस संबंध में केंद्र सरकार तथा केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) से जवाब तलब किया है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम. एस. कर्णिक की खंडपीठ ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर यह जनहित याचिका (PIL) शुरू की। इस रिपोर्ट में उन दंपतियों की पीड़ा को उजागर किया गया था जो वर्षों से बच्चों को गोद लेने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे और अधिवक्ता गौरव श्रीवास्तव को एमिकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) नियुक्त किया है ताकि वे न्यायालय की सहायता कर सकें।

न्यायालय ने केंद्र सरकार और CARA को निर्देश दिया है कि वे शपथपत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई 23 जून को होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, CARA के डैशबोर्ड पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न श्रेणियों में 35,000 से अधिक इच्छुक माता-पिता गोद लेने के लिए पंजीकृत हैं, जबकि गोद लेने के लिए उपलब्ध बच्चों की संख्या मात्र 2,400 के आसपास है। यह भारी असंतुलन प्रतीक्षा अवधि में वृद्धि का मुख्य कारण बताया जा रहा है।